विक्रम कुमार झा/पूर्णिया. आज के समय पर खेती सिर्फ किसानों के पेट पालने का जरिया नहीं है, बल्कि इसे बिजनेस में तब्दील करने की कवायद की जा रही है. आज हम यहां आपको खेती करने का ऐसा ही एक शानदार आईडिया दे रहे हैं. इस आईडिया को अपनाकर आप कम खर्च में लाखों को मुनाफा कमा सकते हैं. बता दें कि भारत में बांस की मांग में लगातार वृद्धि हो रही है. यही कारण है कि सरकार भी अब देश में बांस उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है.
बांस की खेती पर विस्तृत जानकारी देते हुए पूर्णिया कृषि विज्ञान केंद्र के अन्यय कुमार कहते हैं कि पूर्णिया के बहुत कम किसान हैं,जो बांस की खेती किया करते हैं. उन्होंने कहा कि पूर्णिया के किसान चाहे तो बांस की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. वह कहते हैं कि बांस की खेती बंजर जमीन पर आसानी से हो जाती है. एक बार लगाने के बाद 50 साल तक आपको कमाई देता रहेगा.
कम लागत में होगा अच्छा मुनाफा
कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक अन्यय कुमार कहते हैं कि पूर्णिया के बहुत कम हीं किसान हैंजो बांस की खेती करते हैं. उन्होंने कहा कि पूर्णिया के किसान चाहे तो बांस की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. वह कहते हैं कि बांस की खेती बंजर जमीन पर आसानी से हो जाती है. इसकी खेती करने के लिए सिंचाई और पानी की भी बहुत कम जरूरत होती है. उन्होंने कहा कि बांस की खेती एक बार लगा देने से तकरीबन 50 साल तक उत्पादन देता रहता है.
रखें यह ख्याल, ऐसे करें खेती
अन्यय कुमार कहते हैं कि बांस की खेती करने के दौरान दूरी का ख्याल जरूर रखना चाहिए.एक हेक्टेयर जमीन पर लगभग 1500 बांस के पौधे लगाए जा सकते हैं. वहीं बांस के पौधे की दूरी कम से कम ढाई मीटर और लाइन से लाइन की दूरी 3 मीटर तक होनी चाहिए.पूर्णिया में सबसे ज्यादा किसानों के द्वारा उत्पादन किया जाने वाले बांस की प्रजाति बम्बूसा ओर्णदिनेशि और बंबूसा पॉलीमोरफा एवं वनवास है. हालांकि यह सभी प्रजाति किसानों को ज्यादा मुनाफा देता है.
क्या कहते हैं किसान
किसान मनोज कुमार कहते हैं कि वह पूर्णिया के हरदा के पासबांस मंडी में खरीदारी करने आए हैं. बांस की पूरी पहचान है, पूर्णिया के धरती पर किस प्रजाति के बांस की खेती अधिकतर होती है.मोकला और बनवास और जाबों यह तीनों बांस की खेती होती है. मोकला बांस की खासियत इसकेकलर बनवास के कलर से बिल्कुल अलग हैं.हल्कालाइट हरा होता है.इसका उपरी सतह मुलायम और फोकला होता हैं.हालांकि उन्होंने कहा कि मोकला और बनवास में गांठ की दूरी का भी अंतर होता है.
80 रुपए से शुरु होता है बांस
उन्होंने कहा मोक्ला बांस से सूप टोकरी एवं अन्य कई सामग्री बनाए जाते हैं. बनवास अन्य बांस के मुकाबले ज्यादा मजबूत होता है. उन्होंने कहा कि वह बांस खरीदने आए हैं.वह बांस को पहचान कर खरीदारी करते हैं. 80 रुपए से बास की कीमत शुरू होती है. बांस व्यापारी मोहम्मद मिराज कहते हैं कि पूर्णिया के किसानों के द्वारा बेची गई बांस की वह खरीदारी करते हैं.वह यूपी, बंगाल, गुजरात, हरियाणा सहित अन्य कई राज्यों में ट्रांसपोर्ट के माध्यम से बांस को भेजा करते हैं.
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FIRST PUBLISHED : January 22, 2024, 14:46 IST