Ask the Expert| JN.1 Variant: देश के कई राज्यों में तेजी से बढ़ रहे मामले, डॉक्टर से जानें कितना सतर्क रहने की है जरुरत

कोरोना वायरस का नया वेरिएंट JN.1 अब देश भर में काफी तेजी से फैलने लगा है। दुनिया भर में इस नए वेरिएंट के मामले तेजी से देखने को मिल रहे हैं। इस नए वेरिएंट को लेकर हमने बात की डॉक्टर फरहान अहमद से, जो MS General Surgey हैं और वर्तमान में Varanasi में SK Star Health Care में डायरेक्टर पद पर है। कोरोना वायरस को लेकर आम जनता के मन में काफी डर है और कई सवाल भी उठ रहे है, जिसे दूर करने के लिए डॉक्टर से बातचीत की है।

JN.1 Variant क्या है और अन्य वेरिएंट से कितना अलग है
डॉ. फरहान का कहना है कि JN.1 Variant इन दिनों देश के कई राज्यों में फैलने लगा है। ये वेरिएंट अभी शुरुआती स्तर पर है, जिसके बारे में काफी जानकारी हासिल करना बाकी है। कोविड 19 का नया वेरिएंट बहुत घातक नहीं है। कोरोनावायरस के इस नए वेरिएंट से जान पर अधिक खतरा नहीं होने वाला है। JN.1 वेरिएंट के लक्षण अभी तक आए वेरिएंट के समान ही है। आमतौर पर वायरस खुद को मजबूत करने के लिए म्यूटेट होता रहता है। कोविड 19 का नया वेरिएंट बहुत घातक नहीं है। आमतौर पर वायरस खुद को मजबूत करने के लिए mutate होता रहता है। अब तक ऐसे मरीज ही सामने आए हैं जिसमें मरीज को symptomatic treatment देकर मरीज को ठीक कर रहे हैं। JN.1 वेरिएंट ज्यादा घातक नहीं है, जिसमें पुराने आए वायरस की तरह ही लक्षण देखने को मिल रहे हैं।

JN 1Variant क्या है और ये पुराने वायरस से कितना अलग
यह कई देशों में फैला हुआ है और भारत के केरल में भी इसका पहला मामला सामने आया था। भारत में कुल 22 मामले अब तक सामने आ चुके हैं। हाल के समय में वेरिएंट अधिक घातक नहीं है।

अगर वेरिएंट घातक नहीं तो ज्यादा एहतियात बरतने ने की जरूरत क्यों
कोरोनावायरस के इससे पहले भी कई वेरिएंट सामने आ चुके हैं जिस देश और दुनिया काफी अधिक प्रभावित हो चुकी है। आंकड़ों के अनुसार कहा जा रहा है कि जे एन 1 वेरिएंट पहले आए BA.86 से काफी मिलता जुलता है। इसके स्पाइक प्रोटीन में एक्स्ट्रा म्यूटेशन देखने को मिला है, जो इम्यूनिटी को चकमा देकर आसानी से व्यक्ति को संक्रमित करने में सक्षम है। क्योंकि ये म्यूटेशन कर सकता है। ऐसे में ये आने वाले दिनों में अधिक फैल भी हो सकता है। मगर ये वायरस अधिक खतरनाक नहीं होने वाला है।

कितना तेजी से फैल सकता है वायरस
इस वायरस के आने से अधिक पैनिक होने की स्थिति उत्पन्न नहीं होगी। शुरुआती स्थिति में मरीजों में सामान्य लक्षण ही देखने को मिल रहे हैं। यह लक्षण सामान्य खांसी, जुकाम, बुखार, गले में खराश होने जैसे ही है। अब तक आए मामलों में किसी तरह का कोई घटक लक्षण या नया लक्षण देखने को नहीं मिला है जो परेशानी का सबब बन सके। 

वैक्सीन लगवाने वालों के लिए कितना खतरनाक है JN.1 वेरिएंट
कोरोना वायरस संक्रमण से बचने के लिए वैक्सीन एक बेहद कारगर उपाय है। जिन लोगों ने कोरोनावायरस की सिर्फ एक डोज ली है उनके लिए जरूरी है की दूसरी डोज भी लगवाए। कोरोनावायरस की दोनों डोज लगवाने वाले लोगों के लिए जरूरी है कि वह बूस्टर डोज भी जरूर लगाए ताकि संक्रमण से खुद को सुरक्षित कर सके। बूस्टर डोज खासतौर से उन लोगों को लगवानी चाहिए जो हॉस्पिटल में कार्यरत है या फ्रंट लाइन वर्कर्स है।

JN.1 वेरिएंट के नए लक्षण क्या है
भारत में इससे पहले कोरोनावायरस के कई सब वेरिएंट फैल चुके हैं जिसमें ओमिक्रोन और डेल्टा भी शामिल है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि नए वेरिएंट से गंभीर स्थिति पैदा होने का खतरा काफी कम है। इससे पहले कोरोनावायरस के सब वेरिएंट में जो लक्षण देखे गए थे इस बार भी लक्षण इस प्रकार दिखाई दे रहे। मुख्य लक्षणों में नाक से पानी आना, जुकाम होना खांसी आना, गले में खराश होना, बुखार और ठंड लगना शामिल है। कुछ मरीजों को लोज मोशन की शिकायत भी देखने को मिल रही है।  

JN.1 Variant के इलाज में आ रही है कैसी दिक्कत
दिसंबर महीने की शुरुआत में इस वेरिएंट के मामले सामने आए थे। वेरिएंट के मामले शुरुआती स्टेज में ही है और वर्तमान में ऐसी स्थिति देखने को नहीं मिल रही है जो गंभीरता की ओर इशारा करें। अगर आने वाले दिनों में कोरोनावायरस को लेकर स्थिति बिगड़ती है तो अस्पतालों को भी तैयार रहने के निर्देश दिए जा चुके हैं।

JN.1 Variant से बचने के लिए करें ये उपाय
कोरोनावायरस से बचने के लिए दो गज की दूरी बनाए रखना जरूरी है ताकि वायरस के संक्रमण को फैलने से रोका जा सके। इसके साथ ही मास्क लगाना, हाथों को समय-समय पर सेनीटाइज करना भी इस संक्रमण को रोकने के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। इन सभी आदतों को जीवन में अपना कर कोरोनावायरस संक्रमण को अधिक फैलने से रोकने में लाभ हो सकता है। सर्दी और जुकाम से ग्रसित व्यक्ति से दूरी बनाकर रखनी चाहिए।  

JN.1 वेरिएंट का इलाज क्या है और क्या घरेलू उपाय कारगर है?
कोरोनावायरस के इस नए वेरिएंट से छुटकारा पाने के लिए घर पर भी कई उपाय किए जा सकते हैं जिसमें काढ़ा पीना, गर्म पानी पीना भी शामिल है। हालांकि किसी भी ट्रीटमेंट को शुरू करने से पहले डॉक्टर की या फिर आयुर्वेदिक वैद्य की सलाह जरूर लें ताकि वह उपयुक्त कार्य के बारे में सही जानकारी उपलब्ध करा सके। किसी भी तरह का लक्षण दिखने परआयुर्वेदिक वेद या फिर डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही दवाइयों का सेवन करें।

कोरोना का टेस्ट किस स्थिति में करवाए मरीज
अधिकतर मामलों में जब मरीज को जुकाम या सर्दी खांसी की समस्या होती है और ऐसी स्थिति में वह आरटी पीसीआर टेस्ट करवाने के बाद कोविड संक्रमित हो जाता है तो इस स्थिति में पूरे परिवार में डर का माहौल बन जाता है। ऐसे मेंं डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही आरटीपीसीआर टेस्ट करवाएं।

Covid होने पर करें इस प्रोटोकॉल का पालन
कोरोनावायरस का संक्रमण का शिकार होने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइंस का पालन करना चाहिए। संक्रमण से बचने के लिए दो गज की दूरी का पालन करना चाहिए और नियमित रूप से मास्क लगाना चाहिए। वही मरीज की पहचान होने के बाद उसे आइसोलेशन में रखें और मरीज के साथ खाना खाने से बचें। मरीज का ध्यान रखते हुए नुस्खे साथ भेदभाव न करे।

क्या JN1 वैरिएंट को लेकर सारी जानकारी सामने आ चुकी है या इसमें बदलाव होने की उम्मीद है
JN1 वेरिएंट को लेकर अभी जानकारी शुरुआती स्टेज में ही है। आमतौर पर वायरस अपने स्वभाव में बदलाव करता है और यह पूरी प्रक्रिया लंबे अर्थ तक जारी भी रह सकती है। JN 1 वेरिएंट के मरीजों में कोई नया लक्षण देखने को नहीं मिला है। हालांकि इसके बारे में कुछ भी कहना अभी जल्दबाजी होगी और इस वेरिएंट के लिए रिसर्च को पर्याप्त समय दिया जाना जरूरी है।

JN1 वेरिएंट को वेरिएंट of interest WHO ने क्यों कहा 
इस वेरिएंट में भी पुराने वेरिएंट की तरह ही लक्षण देखने को मिल रहे हैं। अगर विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइंस का नियमित रूप से पालन किया जाए तो इस वेरिएंट को पहले से रोका जा सकता है। 

नई वेव का खतरा काफी कम
डॉक्टर फरहान का कहना है कि देश भर में जोर-जोर से चलाए गए वैक्सीनेशन अभियान के बाद किसी भी कोरोनावायरस की नई वेव का खतरा काफी कम हो चुका है। कोरोनावायरस से निपटने के लिए वैक्सीनेशन देश भर की जनता को लगाई जा चुकी है जिस कारण आने वाले दिनों में किसी भी तरह की नई वेव का खतरा काफी कम है। लोगों के अंदर इम्यूनिटी बिल्ड की जा चुकी है जिससे नए वेरिएंट से होने वाले नुकसान से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज शरीर में मौजूद है।

नए मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की दर क्या बनी हुई है
वर्तमान में मरीजों में मौसमी बुखार, जुकाम, जैसी समस्याएं देखने को मिल रही है। अस्पताल में आ रहे मरीजों में लगभग 30% मरीज कोविड संक्रमित पाए जा रहे हैं जिनकी RTPCR जांच करवाई जा रही है। राहत है कि अधिकतर मरीजों को सांस लेने में तकलीफ की परेशानी नहीं हो रही है।

WHO की गाइडलाइंस का पालन करे
गाइडलाइंस का पालन करे और खुद का बचाव करे। वैक्सीन लगने से थोड़ी राहत है। 

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