केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज राज्यसभा में दो विधेयक – जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 को चर्चा और पारित कराने के लिए रखा। दोनों विधेयक 6 दिसंबर को लोकसभा द्वारा पारित किए गए थे। उन्होंने कहा, ”मैं जो विधेयक यहां लाया हूं, वे उन लोगों को न्याय दिलाने और अधिकार प्रदान करने से संबंधित हैं जिनके खिलाफ अन्याय हुआ, जिनका अपमान किया गया और जिनकी उपेक्षा की गई।” उन्होंने कहा कि किसी भी समाज में जो लोग वंचित हैं, उन्हें आगे लाना चाहिए और यही भारत के संविधान की मूल भावना है।
कांग्रेस के सदस्य विवेक तन्खा ने जम्मू कश्मीर में कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्यायार और उनके पलायन की घटनाओं की जांच के लिए आयोग गठित करने की मांग की। इसके साथ ही उन्होंने विस्थापित कश्मीरी पंडितों के प्रतिनिधियों को जम्मू कश्मीर विधानसभा में मनोनयन के लिए प्रावधान करने का सुझाव दिया। इस विषय पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि तन्खा ने कहा, ‘‘जम्मू कश्मीर हमारा था, हमारा है और हमारा रहेगा।’’ उन्होंने कहा कि आज उच्चतम न्यायालय ने जो निर्णय दिया है वह जम्मू कश्मीर के लोगों की जीत है। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने अपने निर्णय में संसद द्वारा किए गये फैसलों को सही ठहराया है।
कांग्रेस सदस्य ने कहा कि विस्थापित कश्मीरी पंडितों को इस बात का दुख है कि आज तक उनकी पीड़ाओं और व्यथाओं की कोई जांच नहीं हुई। उन्होंने कहा कि इस बारे में कोई जांच आयोग बैठाया जाना चाहिए। इस बीच कुछ सदस्यों ने जब तन्खा को टोकने का प्रयास किया तो गृह मंत्री अमित शाह ने सभापति जगदीप धनखड़ से तन्खा को बोलने के लिए और समय देने का अनुरोध करते हुए कहा, ‘‘मैं इस बात का स्वागत करता हूं कि कांग्रेस पार्टी (विस्थापित कश्मीरी पंडितों के लिए) जांच की मांग कर रही है।’’ तन्खा ने कहा कि लोग कई बार उच्चतम न्यायालय गये किंतु कोई सुनवाई नहीं हुई। उन्होंने कहा कि विस्थापित कश्मीरी पंडितों में इस बात का बहुत दुख है कि नरसंहार की अभी तक कोई जांच नहीं हुई, कोई जांच आयोग नहीं बैठा।