Aligarh News: विधायक अनिल पाराशर सहित दर्जन भर भाजपाइयों से मुकदमा वापस, ये था मामला

Case withdrawn from a dozen BJP members including MLA Anil Parashar

अदालत
– फोटो : सोशल मीडिया

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अलीगढ़ में बारहद्वारी भाजपा कार्यालय पर 16 वर्ष पहले बिना अनुमति धरना प्रदर्शन मामले में कोल क्षेत्र के भाजपा विधायक अनिल पाराशर सहित दर्जन भर भाजपाइयों पर दर्ज मुकमदा वापस ले लिया गया है। हालांकि मुकदमा वापसी के संबंध में भाजपा शासन के पिछले कार्यकाल में ही राज्यपाल स्तर से संस्तुति कर दी गई थी। मगर हाईकोर्ट स्तर से अब दो माह पहले मुकदमा वापसी आदेश जारी होने पर सीजेएम न्यायालय ने अब मुकदमा वापसी का आदेश जारी किया है। 

इस मामले में जानकारी देते हुए भाजपा विधायक व भाजपाइयों के अधिवक्ता शैलेंद्र अग्रवाल ने बताया कि वर्ष 2007 में बन्नादेवी थाने में दर्ज इस मुकदमे में ट्रायल के दौरान संजीव राजा व शांतिस्वरूप माहेश्वरी की मौत हो गई।  हालांकि संजीव राजा व अनिल पाराशर के विधायक निर्वाचित होने के बाद हुई प्रक्रिया के तहत वर्ष 2019 में शासन ने मुकदमे वापस करने के आदेश दिए। इसके बाद राज्यपाल ने स्वीकृति दे दी। मगर उसी बीच माननीयों मुकदमा वापसी के संबंध में हाईकोर्ट की अनुमति जरूरी होने का आदेश आने पर प्रक्रिया टल गई। बाद में यह लोग हाईकोर्ट गए। जहां से पिछले दिनों इनके पक्ष में आदेश आ गया। 

इसके आधार पर एमपीएमएलए मामलों की सुनवाई वाली विशेष अदालत सीजेएम संदीप सिंह ने अब मुकदमा वापसी का आदेश किया है। अधिवक्ता की ओर से धारा 321 के तहत दायर की गई अर्जी अदालत ने स्वीकार कर ली। जिसमें आदेश करते हुए कहा है कि अब अन्य कोई कार्यवाही शेष नहीं है। इसी के साथ मुकदमे को समाप्त किया जाए। बता दें कि इस मामले में लंबे समय से कई आरोपी अदालत में हाजिर ही नहीं हुए। इस आदेश की पुष्टि शैलेंद्र अग्रवाल एडवोकेट ने की है।

ये थे मुकदमे में आरोपी

अनिल पाराशर मौजूदा विधायक, पूर्व विधायक स्व.संजीव राजा, भाजपा महानगर उपाध्यक्ष संजय गोयल, पूर्व मेयर आशुतोष वार्ष्णेय, पूर्व महानगर अध्यक्ष भाजपा बिजेंद्र गुप्ता डिब्बा, पूर्व महानगर अध्यक्ष भाजपा दीपक मित्तल, भाजपा महिला मोर्चा की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष मधु मिश्रा, पूर्व डिप्टी मेयर पुष्पलता शर्मा, राज्य कर्मकार आयोग के अध्यक्ष रघुराज सिंह, पूर्व मेयर शकुंतला भारती, स्व.शांतिस्वरूप माहेश्वरी आदि।

ये था आरोप

तत्कालीन बन्नादेवी इंस्पेक्टर अशोक कुमार सिंह की ओर से यह मुकदमा दर्ज कराया गया था, जिसमें आरोप था कि तत्कालीन मेयर आशुतोष वार्ष्णेय के बेटे के साथ हुई मारपीट की घटना के विरोध में भाजपाई बारहद्वारी कार्यालय पर धरना दे रहे थे। निषेधाज्ञा के बीच बिना अनुमति यह धरना मीटिंग की गई। जिसमें मंच से कुछ वक्ताओं ने एएमयू छात्रों के खिलाफ उत्तेजक बयानबाजी की। भडक़ाऊ भाषण से इलाके के कुछ लोगों में रोष पनप गया। इस दौरान कुछ लोगों के कैमरे छीनकर तोडफ़ोड़ की गई। इस मामले में धारा 147, 153 क व 188 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया।

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