
करवा चौथ पूजन के लिए प्रतिमाएं
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आखिरकार वह दिन आ ही गया, जिसका पूरे साल महिलाएं इंतजार करती हैं और अपने पति की दीर्घायु एवं अच्छे स्वास्थ्य की कामना को लेकर उपवास रखती हैं। अखंड सौभाग्य का प्रतीक करवा चौथ 1 नवंबर को पूरे उल्लास एवं पारंपरिक तरीके से मनाया जाएगा। सुहागिन महिलाएं पति की दीर्घायु एवं अविवाहित कन्याएं अच्छे वर की कामना को लेकर करवा चौथ का व्रत रखेंगी। व्रत रखने वाली महिलाओं में उत्साह है।
सिद्धि योग में पड़ने से यह त्योहार बेहद खास हो गया है। खासकर नवविवाहिताओं में इस व्रत को लेकर विशेष उत्साह देखा जा रहा है। त्योहार की पूर्व संध्या पर महिलाओं ने बाजारों में पहुंचकर जमकर खरीदारी की। देर रात तक वहां खूब चहल-पहल रही। कपड़े, जेवर, चूड़ी आदि खरीदने के साथ ही मेहंदी लगवाने के लिए ब्यूटी पार्लर में ग्राहकों की भीड़ रही। सुबह से ही कॉस्मेटिक और कपड़ों की दुकानों पर महिलाओं की भीड़ लगी रही। इस बार साड़ियों में सिर्फ लाल रंग ही नहीं, बल्कि फैंसी कलर और डिजाइन की भी मांग देखने को मिली। बाजार में मेहंदी लगाने वालों के पास भी कतार लगी रही। अलग-अलग डिजाइन की मेहंदी का क्रेज देखने को मिला।
पूजा की थाली में छलनी का महत्व
करवा चौथ पर सुहागिन महिलाएं अपने सुहाग की रक्षा एवं सुख-समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रहकर पूजा-पाठ करती हैं। शाम को सोलह शृगार कर चलनी से पति का दीदार कर चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं। पौराणिक शास्त्रों के अनुसार चांद को चलनी में से या दुपट्टे में से देखते हैं, फिर इसी तरह पति को भी देखते हैं। पति जल ग्रहण कराने के साथ ही खाने के लिए पहला निवाला देकर व्रत खुलवाते है। इस अवसर पर पति भी पत्नी का साथ देते हुए व्रत रखते हैं। पूजा के दौरान महिलाएं छलनी में दीपक रखकर चांद को देखने के बाद पति का चेहरा देखती हैं।