AI का कमाल! बस एक X-Ray से बता देगा अगले 10 साल में हार्ट अटैक और स्ट्रॉक होगा या नहीं

हाइलाइट्स

विश्व में लगातार बढ़ रहे दिल के मरीज, खतरा भी बढ़ा
दुनिया में हर साल होती है 1.79 करोड़ लोगों की मौत
हार्ट अटैक के जोखिम को कम करने के प्रयास जारी

वॉशिंगटन. दुनिया भर में लगातार बढ़ रहे दिल के मरीजों के लिए अच्छी खबर है. अब वैज्ञानिकों ने ऐसे मॉडल को विकसित किया है, जो दिल के रोग को लेकर आगे आने वाले दस सालों का अनुमान लगा लेगा. वह अनुमान लगा लेगा कि किसी शख्स को अगले दस सालों में हार्ट अटैक या स्ट्रॉक आने की कितनी आशंका है. कमाल की बात यह है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सीने के महज एक ही एक्स-रे से यह सारे अनुमान लगा लेगा. उसमें बार-बार एक्स-रे नहीं करना पड़ेगा.

bgr.com की रिपोर्ट के मुताबिक, इस तकनीक को CXR-CVD रिस्क कहा जा रहा है. इसकी खोज अमेरिका के नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट में हुई. एक विशेष ट्रायल के दौरान इसकी खोज भी हुई और इससे जुड़ी ट्रेनिंग भी दी गई. इंस्टीट्यूट ने इस तकनीक के लिए 11430 मरीजों का अध्ययन किया. इन सभी मरीजों के सीने का एक्स-रे हुआ था. इस एक्स-रे से वह स्टेटिन थैरेपी के लायक हो गए. इस थैरेपी से मरीजों का दिल के रोग का खतरा कम हो जाता है.

दिल के रोग के पैटर्न पर फोकस
इस अध्ययन से जो परिणाम निकलकर आए उन्हें उत्तरी अमेरिका रेडियोलॉजिकल सोसायटी (RSNA) की वार्षिक बैठक में रखा गया. बैठक में बताया गया कि इंस्टीट्यूट के परिणाम से पता चलता है कि यह एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) है. इसे एक्स-रे की फिल्म को गहराई से देखने के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है. ताकि, दिल के रोग का पैटर्न पता चल सके.

दिल के मरीजों की पहचान
इस अध्ययन के प्रमुख लेखक और मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल के कार्डियोवास्क्युलर इमेजिन रिसर्च सेंटर से जुड़े डॉ. जैकब वीज ने कहा कि हमारा मॉडल एक्स-रे की फिल्म को देखकर उसका उचित हल देने में सक्षम है. इस स्क्रीनिंग से उन लोगों की पहचान हो जाएगी जिन्होंने दिल के रोग को लेकर कोई इलाज नहीं कराया है और जिन्हें स्टेटिन थैरेपी से फायदा होगा.

इन पैरामीटर पर होगी जांच
इस लेकर फिलहाल जो गाइडलाइन जारी की गई है, उसके मुताबिक, अभी दस साल तक गंभीर हृदय मरीजों को लेकर अनुमान लगाया जा सकता है. यह अनुमान भी लगाया जा सकता है कि उन्हें स्टेटिन थैरेपी की जरूरत है कि नहीं. इस तकनीक में व्यक्ति की उम्र, जेंडर, ब्लड प्रेशर, हाईपरटेंशन, स्मोकिंग, टाइप-टू डायबिटीज और ब्लड टेस्ट कराए जाते हैं. स्टेटिन ट्रीटमेंट उन्हीं को दिया जाता है जिन्हें आने वाले दस सालों में दिल के रोग का खतरा हो.

Tags: Heart attack, World news

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