अहोई पूजन
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करवा चौथ व्रत के बाद महिलाएं 5 नवंबर को अब संतान की दीर्घायु एवं बेहतर स्वास्थ्य की कामना के लिए उपवास रखकर माता अहोई अष्टमी का पूजन करेंगी। माताएं पुत्रों की दीर्घायु, उन्नति एवं सुख-समृद्धि की कामना करेंगी। इसके लिए वे शनिवार को तैयारियों में जुटी रहीं। उन्होंने बाजारों में पहुंचकर बच्चों के लिए कपड़े आदि खरीदे।
महिलाएं पारंपरिक अनुष्ठान के साथ ही माता अहोई की कथा का गुणगान एवं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करेंगी। शाम को आसमान में खिले तारों के दर्शन एवं उन्हें अर्घ्य देने के साथ ही बच्चों की आरती कर उपवास का परायण करेंगी। ज्योतिषाचार्य पंडित हृदय रंजन शर्मा ने बताया कि दीपावली से आठ दिन पूर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाता है। यह व्रत भी करवाचौथ की तरह निर्जल रखा जाता है।
मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान की आयु में वृद्धि, स्वास्थ्य और सुख प्राप्त होता है। माता पार्वती की पूजा भी इसके लिए की जाती है, क्योंकि माता पार्वती भी संतान की रक्षा करने वाली माता कही गई है। उन्होंने बताया कि तारों को देखने के लिए विशेष मुहूर्त शाम 05 बजे से 06:45 बजे तक रहेगा।