ज्ञात हो कि धर्मग्रंथों में ग्रहों में सूर्य को शनि का पिता माना गया है। वहीं नवग्रहों में भी सूर्य और शनि शामिल है, जिसमें एक ओर जहां सूर्य को यश, मान, सम्मान, समृद्धि प्रदान करने वाले देव माने जाते हैं तो वहीं उनके पुत्र शनिदेव को कर्मों के अनुसार फल देने वाले देवता यानि न्याय का देवता माना जाता है। इसके साथ ही इन दोनों ग्रहों को आपस में शत्रु भी माना जाता है।

ऐसे में आने वाले साल 2023 में ये दोनों ग्रह 13 फरवरी के दिन कुंभ राशि में मिल रहे हैं। दरअसल कुंभ राशि में दोनों ग्रहों के एक साथ विद्यमान होने का यह संयोग इससे पहले 1993 में बना था। उसके बाद अब करीब 30 साल बाद पिता सूर्य और पुत्र शनि, शनि की राशि कुंभ में एक साथ स्थित रहेंगे। इसके फलस्वरूप जहां कुछ राशि के जातकों को विशेष लाभ होता दिख रहा है, वहीं कुछ को इसके चलते खासी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ सकता है। खैर पिता पुत्र के इस मिलन का फायदा जिन राशियों को मिलता दिख रहा है वे हैं वृषभ, मिथुन, कन्या, धनु, मकर और कुंभ। माना जा रहा है कि इसके चलते इन राशि के जातकों को खास लाभ मिलने की संभावना बनती दिख रही है।
ज्योतिष के जानकार एके शुक्ला के अनुसार ग्रहों के राजा सूर्य और उनके पुत्र न्याय के देवता शनिदेव कुंभ राशि में 13 फरवरी से 14 मार्च तक एक साथ रहेंगे। कुंभ राशि के स्वामी स्वयं शनि देव हैं। इस दौरान जो स्थिति सामने आ रही है उसके अनुसार इस समयावधि में शनिदेव छह राशियों खासकर वृषभ, मिथुन, कन्या, धनु, मकर और कुंभ राशि के जातकों को समृद्धि प्रदान करेंगे। जिसके चलते इन राशि के जातकों के न्यायालयीन प्रकरणों का समाधान होगा।

शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या
ज्ञात हो कि शनिदेव इन दिनों मकर राशि में है, जिसके चलते मिथुन, तुला राशि के जातकों पर शनि की ढैय्या चल रही है। वहीं दूसरी ओर शनि की साढ़ेसाती मकर, कुंभ व धनु राशि के जातकों पर चल रही है। वहीं शनि जब साल 2023 में 17 जनवरी को कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे तो तुला, मिथुन राशि से शनि की ढैय्या समाप्त हो जाएगी। इसके अलावा धनु राशि के जातकों को भी शनि की साढ़ेसाती से मुक्ति मिल जाएगी।
कर्क-वृश्चिक राशि पर आएगी ढैय्या
अगले साल 17 जनवरी 2023 को तुला, मिथुन राशि से शनि की ढैय्या समाप्त होने के साथ ही कर्क और वृश्चिक राशि वालों पर शनि की ढैय्या का प्रभाव शुरु हो जाएगा। वहीं मकर राशि पर भी साढ़े साती का अंतिम चरण और कुंभ राशि पर साढ़ेसाती का प्रभाव बीच वाले चरण में होगा। जबकि इसके साथ ही मीन राशि पर शनि की साढ़ेसाती शुरु हो जाएगी।
शनिदेव को ऐसे करें प्रसन्न
– ॐ हं हनुमते नम: मंत्र का जाप करें।
– राजा दशरथ के शनि स्त्रोत का पाठ करें।
– पीपल पर जल अर्पित कर पितरों को याद करें।
– शनिवार को निर्धनों की सहायता करके शनि प्रतिमा पर तेल अर्पित करें।