12 जनवरी को तड़के अफगानिस्तान के हिंदूकुश क्षेत्र में रिक्टर पैमाने पर 4.4 तीव्रता का भूकंप आने के कुछ घंटों बाद अफगानिस्तान में एक नया भूकंप आया। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, ताजा भूकंप सुबह 9.40 बजे आया और 180 किलोमीटर की गहराई पर था।
12 जनवरी को तड़के अफगानिस्तान के हिंदूकुश क्षेत्र में रिक्टर पैमाने पर 4.4 तीव्रता का भूकंप आने के कुछ घंटों बाद अफगानिस्तान में एक नया भूकंप आया। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, ताजा भूकंप सुबह 9.40 बजे आया और 180 किलोमीटर की गहराई पर था। इससे पहले भूकंप सुबह 4.51 बजे आया और 17 किलोमीटर की गहराई पर था। क्षति या हताहत की कोई रिपोर्ट नहीं थी। कल दोपहर 2.50 बजे अफगानिस्तान के इसी क्षेत्र में 6.1 तीव्रता का भूकंप आया। भूकंप के झटके दिल्ली और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों, पाकिस्तान के लाहौर और पुंछ सहित जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों में भी महसूस किए गए।
आपको बता दें कि अफगानिस्तान के पश्चिम में पिछले साल अक्टूबर में आये 6.3 तीव्रता के भूकंप में सात लोगों की मौत हो गई थी, जबकि हजारों घायल हो गए थे। इस आपदा में जीवित बचे लोग तीन माह बाद भी अपने जिंदगी को पटरी पर लाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हेरात प्रांत में आये भूकंप ने जिंदा जान जिले में सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया था, इस जिले में ऐसा कोई घर नहीं बचा है, जो सही सलामत हो। ऐसे में अब यहां कई परिवार तंबुओं में रह रहे हैं। लोग फिलहाल दान में मिली धनराशि की मदद से अपना गुजारा कर रहे हैं, लेकिन भविष्य को लेकर काफी चिंचित हैं, उन्हें नहीं पता आगे क्या होगा। हबीब रहमान (43) ने बताया कि जिस दिन भूकंप आया वह अपने ससुर के घर पर टीवी देख रहे थे।
उन्होंने कहा कि आज भी उस दिन मची चीख-पुकार उनके कानों में गूंजती है। चाहकर भी वह इस खौफ से नहीं निकल पा रहे हैं। ‘एसोसिएटेड प्रेस’ को हबीब ने बताया, ‘‘इस मिट्टी और धूल को देखकर उस दिन की घटना की याद ताजा हो जाती है। इसका बच्चों के मस्तिष्क पर भी गहरा प्रभाव पड़ा है। कभी-कभी मैं उनका ध्यान भटकाने और भूकंप के बारे में भूलने के लिए (उनकी मदद के तौर पर) उनके साथ खेलता हूं। लेकिन वे इसे भूल नहीं पा रहे हैं।’’ जिंदा जान में इस कड़कड़ाती ठंड में सिर छिपाने के लिए लोगों के पास तंबू ही एकमात्र सहारा हैं, लेकिन आंधी-तूफान इन्हें भी क्षतिग्रस्त कर रहे हैं।
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