अगले चरण में एल-1 के हर तरफ बड़ी हैलो ऑर्बिट को स्थापित करेगा। ये सब इसरो द्वारा होगा। इसरो का कहना है कि सूर्य की बाहरी परतों की जानकारी हासिल करने के उद्देश्य से आदित्य एल 1 पर 7 पेलोड लगे हुए है।
चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक लैंडिंग के बाद, इसरो की नजर बहुप्रतीक्षित आदित्य एल1 मिशन को लॉन्च करने के बेहद करीब है। आदित्य-एल1 मिशन सूर्य का अध्ययन करने के लिए समर्पित है। यानी अब सूर्य के रहस्य भी भारत की पकड़ से दूर नहीं है। इस मिशन के जरिए आदित्य एल 1 धरती से 15 लाख किलोमीटर की दूरी को तय कर सूरज की ओर जाएगा।
आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च होने के बाद इस मिशन को अंतरिक्ष में एल 1 पॉइंट तक पहुंचना है। इसके बाद यहां से मिशन की शुरुआत होगी जब इस पॉइंट से सूर्य के आसपास होने वाली घटनाओं की जानकारी मिलेगी। बता दें कि एल 1 पॉइंट से सूर्य की दूरी लगभग 14 करोड़ 85 लाख किमी है।
ऐसे पहुंचेगा एल 1 पॉइंट तक
जानकारी के मुताबिक इस मिशन के पहले फेज में आदित्य एल 1 को पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल के जरिए लॉन्च किया जाएगा। इसरो का लक्ष्य इसे धरती की निचली कक्षा में स्थापित करने का है। इसके बाद आदित्य एल1 के ऑर्बिट को बढ़ाया जाएगा। इसके बाद ये पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से बाहर निकलेगा। फिर इस मिशन का क्रूज स्टेपर शुरू हो जाएगा।
अगले चरण में एल-1 के हर तरफ बड़ी हैलो ऑर्बिट को स्थापित करेगा। ये सब इसरो द्वारा होगा। इसरो का कहना है कि सूर्य की बाहरी परतों की जानकारी हासिल करने के उद्देश्य से आदित्य एल 1 पर 7 पेलोड लगे हुए है। इसमें से चार पेलोड सूर्य के आसपास की जानकारी हासिल करेंगे। अन्य तीन पेलोड एल1 पॉइंट के आसपास में रिसर्च करेंगे।
इतना समय लगेगा
बता दें कि सूर्य और धरती की दूरी 15 करोड़ किमी है। दोनों के बीच लैग्रेंज प्वाइंट ऐसी जगह है जहां से सूर्य को सीधे बिना किसी रूकावट के देखा जा सकता है। इस संबंध में इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने जानकारी दी थी कि इसे एल-1 प्वाइंट तक पहुंचने में 120 दिन यानी 4 महीने के वक्त लगेगा।