Adani Hindenburg Saga: अडानी-हिंडनबर्ग केस की जांच करने वाली समिति को लेकर नया अपडेट सामने आया है. अडानी ग्रुप पर लगे आरोपों की जांच करने के लिए नई विशेषज्ञ समिति गठित करने का भी आग्रह किया गया है. याचिका में कहा गया है कि नई एक्सर्ट पैनल में वित्त, कानून और शेयर बाजार के विशेषज्ञ हों. जिनके मामले के नतीजे में हितों पर कोई टकराव न हो. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में आरोप लगाया गया कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट में अडानी ग्रुप के खिलाफ स्टॉक हेरफेर के आरोपों की जांच करने वाली अदालत की निगरानी वाली समिति में भी हितों का टकराव है.
तीन सदस्यों के हितों टकराव का आरोप
याचिकाकर्ता अनामिका जयसवाल की तरफ से छह सदस्यीय पैनल के तीन सदस्यों के हितों टकराव का आरोप लगाया है. शीर्ष अदालत में दायर आवेदन में याचिकाकर्ता ने दावा किया कि जांच समिति में ओपी भट्ट (एसबीआई के पूर्व अध्यक्ष), केवी कामथ (बैंकर) और सीनियर एडवोकेट सोमशेखर सुंदरेसन को शामिल करना सही नहीं है. अनामिका जयसवाल ने दावा किया कि ओपी भट्ट मौजूदा समय में एक रिन्यूएबल एनर्जी कंपनी ग्रीनको के चेयरमैन हैं. जिस कंपनी के लिए वह काम कर रहे हैं यह अडानी ग्रुप के साथ काम कर रही है.
बैंक धोखाधड़ी के मामले में FIR का सामना कर रहे
याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया कि ओपी भट्ट से मार्च 2018 में विजय माल्या को लोन देने में गड़बड़ी के आरोप के बाद सीबीआई ने भी पूछताछ की थी. दरअसल, उनके अनुसार भट्ट ने 2006 और 2011 के बीच एसबीआई के चेयरमैन के रूप में काम किया था. इस दौरान ही माल्या की कंपनियों को ज्यादातर लोन दिए गए थे. याचिका में कहा गया कि केवी कामथ (KV Kamath) पहले से ही एक बैंक धोखाधड़ी के मामले में एफआईआर का सामना कर रहे हैं. इसके अलावा वकील सोमशेखर अलग-अलग जगह अडानी के लिए पेश हुए हैं. इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 13 अक्टूबर को सुनवाई कर सकता है.
इससे पहले, अडानी-हिंडनबर्ग मामले में एक याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत में आरोप लगाया था कि सेबी ने (SEBI) ने शीर्ष अदालत के अहम तथ्यों को छुपाया. याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में कहा कि जब अडानी ग्रुप के खिलाफ ओवर इनवॉयसिंग मामले में जांच चल रही थी, तब राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) ने 2014 में तत्कालीन सेबी चेयरमैन को एक पत्र भेजकर सचेत किया था.
यह है पूरा मामला
साल की शुरुआत में शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप पर नियामक विफलता और कानूनों के उल्लंघन का आरोप लगाया था. हिंडनबर्ग के आरोपों के बाद अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयर में बड़ी गिरावट दर्ज की गई थी और अडानी को भारी नुकसान हुआ था. इस पूरे मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने छह सदस्यीय पैनल का गठन किया था. इसमें रिटायर्ड जज एएम सप्रे की अगुवाई में जस्टिस जेपी देवधर, ओपी भट, एमवी कामथ, नंदन नीलेकणि और सोमशेखर सुंदरेसन शामिल थे. समिति ने ढाई महीने की जांच के बाद सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट सौंप दी है. अब याचिकाकर्ता ने नई समिति के गठन की गुजारिश की है.