नई दिल्ली :
पार्टी मुख्यालय में हुई एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं कैबिनेट मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि कल हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने सदन में लंबा चौड़ा भाषण दिया, सभी न्यूज़ चैनलों पर वह भाषण दिखाया गया. परंतु सोचिए यदि उस भाषण में ऑडियो नहीं होती तो वह कैसा लगता. प्रधानमंत्री जी केवल इशारे करते हुए नजर आते. प्रश्न पूछते हुए सौरभ भारद्वाज ने कहा कि इस प्रकार का बिना ऑडियो वाला वीडियो कोई न्यूज़ चैनल अपने चैनल पर दिखता.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी के ऐसे बिना आवाज वाले वीडियो की क्या ही तो कीमत रह जाती. इस बात को कोर्ट में आम आदमी पार्टी के नेताओं के खिलाफ चल रहे एक तथाकथित मामले के साथ जोड़कर सुप्रीम कोर्ट के 2 दिसंबर 2020 के एक मामले में दिए गए आदेश का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि, सुप्रीम कोर्ट का यह सख्त निर्देश है, कि किसी भी प्रकार की जांच में जांच एजेंसियों को बयान लेते वक्त उसकी ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग की जानी जरूरी है, ताकि इस बात की तस्दीक की जा सके, कि जो बयान उस गवाह से लिया गया है, वह उसने अपनी मर्जी से दिया है और उस पर जांच एजेंसी द्वारा किसी भी प्रकार का कोई दबाव नहीं बनाया गया है.
उन्होंने कहा, परंतु सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेश होने के बावजूद भी केंद्र शासित ईडी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना करते हुए, आम आदमी पार्टी के नेताओं के खिलाफ चल रहे तथाकथित मामले में गवाह और अभियुक्तों के बयान की ऑडियो रिकॉर्डिंग नहीं की.
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि किसी भी मामले में यह जानने के लिए की जिस व्यक्ति से बयान लिया गया है वह व्यक्ति गवाह है या मुजरिम है, और जो बयान उसके द्वारा दिया गया है वह उसे डरा धमकाकर या उस पर दबाव बनाकर तो नहीं लिया गया है, इन बातों की तस्दीक करने के लिए ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग का होना बेहद जरूरी है, परंतु इस मामले में ऑडियो रिकॉर्डिंग नहीं है.
उन्होंने कहा कि जब ऑडियो रिकॉर्डिंग की ही नहीं गई है, तो यह कैसे पता चलेगा कि जो ईडी द्वारा लिखित में कोर्ट के सामने बयान प्रस्तुत किया जाता है, गवाह ने वही बातें बोली थी या नहीं बोली थी ? मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि न केवल 2 दिसंबर 2020 की मामले में बल्कि इस मामले में भी 19 जुलाई 2023 को कोर्ट द्वारा साफ तौर पर इस बात को कहा गया है, कि इस मामले में गवाहों के बयानों की पूरी तरीके से रिकॉर्डिंग होनी चाहिए, इसके बावजूद भी गवाह के बयान की ऑडियो रिकॉर्डिंग ईडी द्वारा नहीं की गई.
ईडी की इस प्रकार की गैर जिम्मेदाराना कार्यवाही पर प्रश्न उठाते हुए उन्होंने कहा, कि एक तो इस मामले में कोर्ट के सख्त आदेश होने के बावजूद भी ईडी द्वारा गवाह की ऑडियो रिकॉर्डिंग नहीं की गई और उस पर हास्यास्पद यह है, कि ईडी द्वारा बयान जारी किया जाता है, परंतु उस बयान पर ना तो किसी अधिकारी का नाम लिखा होता है, ना किसी अधिकारी के हस्ताक्षर होते हैं.
अर्थात यह मालूम ही नहीं है कि यह जो बयान ईडी की ओर से जारी किया जा रहा है, यह बयान किसके द्वारा दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि यदि ईडी ने किसी प्रकार का कोई गैर संवैधानिक काम नहीं किया है, तो ईडी द्वारा यह बयान आधिकारिक तौर पर दिया जाना चाहिए और इस बयान में उस अधिकारी का नाम, पद और हस्ताक्षर होने चाहिए, जिस अधिकारी द्वारा यह बयान ईडी की ओर से जारी किया जा रहा है.
सौरभ भारद्वाज ने बीते दिनों उपराज्यपाल कार्यालय द्वारा दिए गए एक बयान, जिसमें उन्होंने कहा था, कि दिल्ली बाल आयोग को दिए जाने वाला पैसा बंद किया जाएगा और जो खबर सभी अखबारों में भी खूब चर्चा में रही, इसका हवाला देते हुए कहा, कि बाद में उपराज्यपाल महोदय अपने इस बयान से मुकर गए, कि हमने इस प्रकार का कोई बयान नहीं दिया है . इस प्रकार से ईडी द्वारा जारी किए गए इस बयान की भी तब तक कोई प्रमाणिकता नहीं है, जब तक की इस बयान पर जारी करने वाले अधिकारी का नाम उसका पद और हस्ताक्षर नहीं लिख दिए जाते.
सौरभ भारद्वाज ने मीडिया के माध्यम से भाजपा शासित केंद्र सरकार से और ईडी विभाग के अधिकारियों से प्रश्न पूछते हुए कहा, कि आधिकारिक तौर पर वह बताएं, कि किस मंत्री या किस अधिकारी के आदेश पर गवाह के बयान की ऑडियो रिकॉर्डिंग नहीं की गई?
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को भी भाजपा शासित केंद्र सरकार की चालाकियों का इस हद तक अनुमान है, कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में साफ तौर पर इस बात को कहा है, कि गवाह का बयान लेते हुए गवाह की वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ-साथ ऑडियो रिकॉर्डिंग भी की जाए. तो ईडी बताए कि सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेश के बावजूद भी ईडी ने इस मामले में गवाह का बयान लेते हुए ऑडियो रिकॉर्डिंग क्यों नहीं की?