पुतिन रिकॉर्ड बहुमत से 5वीं बार रूस के राष्ट्रपति बने: 88% वोट मिले, नाटो विवाद पर बोले- दुनिया तीसरे विश्व युद्ध से एक कदम दूर

12 मिनट पहले

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​​​​​​​पुतिन पहली बार साल 2000 में रूस के राष्ट्रपति बने थे। उनकी यह तस्वीर राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस की है। - Dainik Bhaskar

​​​​​​​पुतिन पहली बार साल 2000 में रूस के राष्ट्रपति बने थे। उनकी यह तस्वीर राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस की है।

व्लादिमिर पुतिन लगातार 5वीं बार रूस के राष्ट्रपति बन गए हैं। 15-17 मार्च को हुई वोटिंग में पुतिन को 88% वोट मिले। उनके विरोधी निकोले खारितोनोव को 4% वोट मिले। व्लादिस्लाव दावानकोव और लियोनिद स्लटस्की तीसरे और चौथे नंबर पर रहे।

रिजल्ट घोषित होने के बाद पुतिन ने कहा- अब रूस और भी ज्यादा ताकतवर और प्रभावशाली बनेगा। उन्होंने रूस-नाटो विवाद को लेकर भी चर्चा की। कहा- अगर अमेरिकी नेतृत्व वाला सैन्य संगठन नाटो और रूस आमने-सामने हुए तो दुनिया तीसरे विश्व युद्ध से एक कदम दूर होगी। मुझे नहीं लगता की कोई भी ऐसा कुछ चाहेगा।

पुतिन ने 15 मार्च को राष्ट्रपति भवन- क्रेमलिन में अपने ऑफिस के कंप्यूटर से ऑनलाइन वोट डाला था।

पुतिन ने 15 मार्च को राष्ट्रपति भवन- क्रेमलिन में अपने ऑफिस के कंप्यूटर से ऑनलाइन वोट डाला था।

पहली बार 2000 में रूस के राष्ट्रपति बने
पुतिन पहली बार साल 2000 में रूस के राष्ट्रपति बने थे। वो 2008 तक इस पद पर रहे। 2012 में तत्कालीन राष्ट्रपति मेदवेदेव ने अपनी पार्टी से पुतिन को एक बार फिर प्रेसिडेंट कैंडिडेट के लिए नॉमिनेट करने को कहा। इसके बाद 2012 के चुनाव में पुतिन ने जीत हासिल की और वो सत्ता में लौट आए। तब से अब तक वो राष्ट्रपति पद पर हैं।

2036 तक रूस के राष्ट्रपति रह सकते हैं पुतिन
रूसी संविधान में लिखा है कि कोई भी व्यक्ति लगातार दो बार से ज्यादा राष्ट्रपति नहीं बन सकता है। इसके चलते 8 मई 2008 को पुतिन ने अपने पीएम दिमित्री मेदवेदेव को रूस का राष्ट्रपति बनवाया और खुद पीएम बन गए। नवंबर 2008 में दिमित्री ने संविधान संशोधन कर राष्ट्रपति का कार्यकाल 4 से बढ़ाकर 6 साल कर दिया।

इसके बाद 2012 में पुतिन फिर से रूस के राष्ट्रपति बन गए। उन्होंने लगातार राष्ट्रवाद को पुश किया और देश की जनता को सोवियत यूनियन वाला रसूख वापस दिलाने के सपने दिखाए। 2014 में पुतिन ने क्रीमिया पर हमला करके उस पर कब्जा कर लिया।

जनवरी 2020 में पुतिन ने संविधान संशोधन के जरिए दो टर्म तक राष्ट्रपति रहने की सीमा खत्म कर दी। इसे सही साबित करने के लिए पुतिन ने जनमत संग्रह करवाया।

इसी के साथ पुतिन के 2036 तक राष्ट्रपति बने रहने का रास्ता साफ हो गया। इससे पुतिन सोवियत संघ पर करीब तीन दशकों तक राज करने वाले स्टालिन से आगे निकल जाएंगे।

पुतिन की पॉपुलैरिटी इतनी बढ़ गई कि जनमत संग्रह में 76% वोट पुतिन के समर्थन में पड़े।

पुतिन की पॉपुलैरिटी इतनी बढ़ गई कि जनमत संग्रह में 76% वोट पुतिन के समर्थन में पड़े।

कैसा है रूस का पॉलिटिकल सिस्टम
रूस की संसद जिसे फेडरल असेंबली कहते हैं, इसके भी भारत की तरह 2 हिस्से हैं। ऊपरी सदन को काउंसिल ऑफ फेडरेशन कहा जाता है और निचला सदन स्टेट डुमा। रूस में राष्ट्रपति का पद सबसे पावरफुल होता है।

भारत में प्रधानमंत्री का जो रोल है रूस में वो पावर राष्ट्रपति के पास होती है। पावर के नाम पर दूसरा नंबर आता है प्रधानमंत्री का, तीसरा सबसे शक्तिशाली शख्स होता है फेडरल काउंसिल (ऊपरी सदन) का अध्यक्ष।

पुतिन 4 बार दुनिया के सबसे पावरफुल पर्सन बने
फोर्ब्स के मुताबिक, 2013 से लेकर 2016 तक लगातार 4 बार व्लादिमिर पुतिन को दुनिया का सबसे पावरफुल पर्सन घोषित किया गया। व्लादिमीर पुतिन रूस के सबसे अमीर व्यक्ति माने जाते हैं। पुतिन की बेटियों की गिनती रूस की सबसे अमीर लड़कियों में होती है। इसके अलावा पुतिन ने रूसी अरबपतियों के ग्रुप ‘ऑलिगार्की’ पर भी पकड़ मजबूत कर रखी है।

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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने देश को संबोधित किया। उन्होंने करीब 4 घंटे तक मीडिया और जनता के सवालों के जवाब दिए। कहा- यूक्रेन पश्चिमी देशों के टुकड़ों पर जी रहा है। पश्चिमी देश लगातार उसे मदद भेज रहे हैं, हथियार दे रहे हैं, लेकिन ये सप्लाई एक दिन रुक जाएगी। पढ़ें पूरी खबर…

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