रिलायंस का मार्केट-कैप ₹81,763 करोड़ गिरा: पिछले हफ्ते टॉप-10 में 5 कंपनियों की वैल्यू 2.23 लाख करोड़ गिरी; TCS की वैल्यू ₹38,858 करोड़ बढ़ी

नई दिल्ली14 घंटे पहले

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मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज का मार्केट कैप पिछले हफ्ते ₹81,763 करोड़ गिरा है। अब कंपनी का मार्केट कैप ₹19.20 लाख करोड़ रह गया है। एक हफ्ते पहले यह ₹20.01 लाख करोड़ था।

देश की टॉप-10 कंपनियों में से 5 की वैल्यूएशन में इस दौरान कंबाइन रूप से ₹2,23,660 करोड़ की गिरावट आई। रिलायंस के अलावा लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (LIC) और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) मार्केट के टॉप-3 लूजर रहे हैं। इनकी वैल्यू 63,629 करोड़ रुपए और 50,112 करोड़ रुपए घटी है।

वहीं, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) का मार्केट-कैप ₹38,858 करोड़ बढ़कर ₹15.26 लाख करोड़ हो गया है। इसके अलावा भारती एयरटेल ने अपने मार्केट कैप में 11,977 करोड़ रुपए जोड़ा है। अब कंपनी की वैल्यू 6.89 लाख करोड़ रुपए हो गई है।

पिछले हफ्ते 1,475 अंक गिरा था शेयर बाजार
हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन यानी 15 मार्च को शेयर बाजार में गिरावट देखने को मिली थी। सेंसेक्स 453 अंक की गिरावट के साथ 72,643 के स्तर पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी में भी 123 अंक की गिरावट रही, ये 22,023 के स्तर पर बंद हुआ।

सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 24 में गिरावट और 5 में तेजी देखने को मिली थी। ऑयल एंड गैस सेक्टर में सबसे ज्यादा 1.98% की गिरावट देखने को मिली। पिछले हफ्ते, सेंसेक्स में 1,475.96 अंक या 1.99% की गिरावट रही थी।

निफ्टी ऑयल एंड गैस में सबसे ज्यादा 1.98% की गिरावट रही
NSE के सेक्टोरल इंडेक्स की बात करें तो निफ्टी ऑयल एंड गैस में सबसे ज्यादा 1.98% की गिरावट देखने को मिली। वहीं,निफ्टी ऑटो में 1.57%, निफ्टी IT में 0.47% और निफ्टी बैंक में -0.47% की गिरावट रही। जबकि,निफ्टी FMCG में 0.02% और निफ्टी मेटल में 0.03% की तेजी रही।

मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है?
मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर, जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, की वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की टोटस नंबर को स्टॉक की प्राइस से गुणा करके किया जाता है।

मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है ताकि निवेशकों को उनके रिस्क प्रोफाइल के अनुसार उन्हें चुनने में मदद मिले। जैसे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां।

मार्केट कैप = (आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या) x (शेयरों की कीमत)

मार्केट कैप कैसे काम आता है?
किसी कंपनी के शेयर में मुनाफा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स को देख कर लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर मार्केट कैप भी होता है। निवेशक मार्केट कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है।

कंपनी का मार्केट कैप जितना ज्यादा होता है उसे उतनी ही अच्छी कंपनी माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के अनुसार स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती है। इसलिए मार्केट कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीवड वैल्यू होती है।

मार्केट कैप कैसे घटता-बढ़ता है?
मार्केट कैप के फॉर्मूले से साफ है कि कंपनी की जारी शेयरों की कुल संख्या को स्टॉक की कीमत से गुणा करके इसे निकाला जाता है। यानी अगर शेयर का भाव बढ़ेगा तो मार्केट कैप भी बढ़ेगा और शेयर का भाव घटेगा तो मार्केट कैप भी घटेगा।

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