3 घंटे पहले
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रुचिरा कंबोज ने UN की जनरल असेंबली में इस्लामोफोबिया पर भारत का पक्ष रखा।
संयुक्त राष्ट्र संघ की जनरल असेंबली में शनिवार को इस्लामोफोबिया (इस्लाम से नफरत) के खिलाफ प्रस्ताव पास करने पर वोटिंग हुई। ये प्रस्ताव चीन के सहयोग से पाकिस्तान लाया था। भारत इस वोटिंग में शामिल नहीं हुआ।
पाकिस्तान ने इस्लामोफोबिया के जिक्र में CAA और राम मंदिर का भी जिक्र किया। UN में भारत की राजदूत रुचिरा कंबोज ने इसकी कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा- मेरे देश के मुद्दों पर इस डेलीगेशन के गलत विचार हैं।
जब असेंबली उस मुद्दे पर चर्चा कर रही है जिस पर गहराई से सोचने, समझदारी और बुद्धिमानी की जरूरत है, इस वक्त डेलीगेशन की ऐसी सोच ठीक नहीं है।

यूरोपीय देश स्वीडन में कुछ लोग लगातार कुरान जला रहे थे, इस पर पाकिस्तान ने इस्लामोफोबिया के खिलाफ प्रस्ताव लाने की घोषणा की थी।
‘सिर्फ एक नहीं सभी धर्मों के खिलाफ नफरत की आलोचना हो’
UN में भारत ने कहा कि सिर्फ एक धर्म नहीं बल्कि सभी धर्मों के नाम पर होने वाले हर भेदभाव की आलोचना की जानी चाहिए। चाहे वो यहूदी हों, मुस्लिम हों या ईसाई। रुचिरा ने ये भी कहा कि भेदभाव सिर्फ अब्रहाम से जुड़े धर्मों तक सीमित नहीं है।
रुचिरा ने कहा- दशकों से सबूत इस बात की ओर इशारा करते हैं कि दूसरे धर्म भी भेदभाव और नफरत का शिकार हुए हैं। हिंदुओं, बौद्ध और सिखों से भी भेदभाव होता है।
भारत बोला- धर्म के नाम पर बंट न जाए UN
भारत ने कहा कि इस प्रस्ताव से ऐसा न हो कि आने वाले समय में अलग-अलग धर्मों से नफरत के खिलाफ प्रस्ताव पास किए जाने लगें। इससे संयुक्त राष्ट्र संघ धर्म के नाम पर अलग-अलग गुटों में बंट जाएगा। UN को धर्म से ऊपर उठकर सोचना चाहिए।
ऐसा न हो कि इस तरह के प्रस्ताव हमें एकजुट करने की बजाय तोड़ दें। किसी एक धर्म के बजाय सभी धर्मों के खिलाफ नफरत और भेदभाव रोकने के लिए प्रस्ताव पास होना चाहिए।
इस्लाम से नफरत के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव का 115 देशों ने समर्थन किया। हालांकि भारत, ब्राजील, फ्रांस , जर्मनी, इटली, यूक्रेन और ब्रिटेन समेत 44 देश वोटिंग से अनुपस्थित रहे।

तस्वीर ब्रिटेन में मस्जिदों के निर्माण के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन की है।
सिर्फ इस्लामोफोबिया काउंटर करने के लिए न हो कोई नियुक्ति
पाकिस्तान और चीन के प्रस्ताव में ये भी मांग की गई थी कि इस्लामोफोबिया को काउंटर करने के लिए भी एक स्पेशल एनवोय को नियुक्त किया जाए। भारत ने इसका विरोध किया है। कंबोज ने कहा कि नियुक्ति से पहले ये सोचना चाहिए कि क्या ये UN के बजट और रिसोर्स का सही इस्तेमाल है।
उन्होंने शरणार्थियों को पनाह देने के भारत के इतिहास का जिक्र करते हुए कहा कि हमने पारसियों, बौद्ध और यहूदियों को शरण दी। जब उन्हें धार्मिक नफरत के चलते मारा जा रहा था।
2022 में UN में एक प्रस्ताव पास कराया गया था। इसके तहत 15 मार्च को इस्लामोफोबिया रोकने का दिन घोषित किया गया था। दरअसल, 2019 में 15 मार्च को न्यूजीलैंड में दो मस्जिदों में गोलीबारी हुई थी। इसमें 50 लोग मारे गए थे। इस घटना की दुनिया भर में निंदा की गई थी।