आदित्य आनंद/गोड्डा.शादी के सीजन में कुम्हार पंडित के दुकान में आप एक विशेष प्रकार का खिलौना देखते होंगे. दरसल, यह खिलौना खेलने वाला नही होता है. बल्की मिट्ठी से बने इस हाथी स्वरूप खिलौने का उपयोग शादी के एक खास पूजा में होती है. हाथी के साथ इसके ऊपर कलश और मिट्ठी की कपटी रख इसकी पूजा होती है. शादी जैसे मांगलिक कार्य में हाथी को गणेश का स्वरूप मानाजात है. दूल्हा के मंडप पूजन में और दुल्हन के मंडप पुजन में शादी के दिन सबसे पहले इस हाथी की पूजा की जाती है. वहीं, शादी के बाद कुछ महीनो तक इस हाथी के खिलौने को सुरक्षित रखा जाता है. अलग-अलग जगह में परंपरा के मुताबिक इस सालों साल तक संभाल कर रखा जाता है.
शादी में इस खिलौने को कुम्हार पंडिताइन के द्वारा घर पहुंच कर दिया जाता है. इसके बदले में दुल्हन के परिवार द्वारा कुमार पंडिताइन को दान स्वरूप पैसे और कपड़े भी देते हैं. गोड्डा के महागामा की कुम्हार पंडिताइन सावित्री देवी ने कहा कि हिंदू धर्म में परंपरा के मताबिक शादी के मंडप में हाथी की पूजा होती है.जिसमें सिंदूरदान के समय हाथी के चेहरे को दूल्हे के पिता के द्वारा लाए गए साड़ी से ढक दिया जाता है. इसके बाद दूल्हा दुल्हन को सिंदूर दान करते हैं.
खुशियों से भर जाता है वैवाहिक जीवन
गोड्डा के पंडित सतीश झा ने बताया की शादी के मंडप में कलश और हाथी की पूजा काफी शुभ माना जाता है. इसका पूरा फल सीधे वर वधु के वैवाहिक जीवन पर पड़ता है. वर वधु के घर सुख शांति और समृद्धि आती है.क्योंकि, हाथी को भगवान गणेश का स्वरुप माना जाता है. इसीलिए वैवाहिक जीवन की शुरुआत में भी भगवान गणेश के रूप में हाथी की पूजा की जाती है.
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FIRST PUBLISHED : March 15, 2024, 13:03 IST