वैक्सीन के अलावा सर्वाइकल कैंसर का और क्या है इलाज, डॉक्टर से जानें हर जानकारी, रहेंगे बीमारी से महफूज

Cervical cancer Treatment: सर्वाइकल कैंसर महिलाओं के गर्भाशय में होने वाली खतरनाक बीमारी है लेकिन नियमित स्क्रीनिंग के माध्यम से इस बीमारी को होने से रोका जा सकता है. भारत में महिलाओं में दूसरा सबसे सामान्य कैंसर है सर्वाइकल कैंसर. नए कैंसर के मामलों में 18.2 प्रतिशत कैंसर सर्वाइकल कैंसर से जुड़ा है. सबसे बड़ी बात यह है कि यह काम काज के समय महिलाओं को हो जाती है जो बेहद दुखद है. अगर समय पर एचपीवी वैक्सीन लगा ली जाए तो इस बीमारी से बचा जा सकता है. भारत सरकार बड़े पैमाने पर पूरे देश में 9 से 13 साल की लड़कियों को एचपीवी वैक्सीन लगाने की तैयारी कर रही है. लेकिन सवाल यह है कि वैक्सीन के अलावा सर्वाइकल कैंसर से बचने के और क्या-क्या तरीके हैं.

सर्वाइकल कैंसर के इलाज के तरीके

1. सर्जरी-पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होल्कर हेड एंड नेक कैंसर इंस्टीट्यूट में सर्जिकल ओंकोलॉजिस्ट और एसोसिएट कंसल्टेंट डॉ. कणव कुमार बताते हैं कि अगर शुरुआत में सर्वाइकल कैंसर का पता चल जाए तो इसे आसानी से सर्जरी द्वारा हटाया जा सकता है. इस सर्जरी में बीमारी की गंभीरता को ध्यान में रखा जाता है. इसमें मुख्यतया यूटेरस, ओवरी या रीजनल लिंफ नोड्स को काटकर हटा दिया जाता है.

2. रेडिएशन थेरेपी-अगर सर्वाइकल कैंसर लोकली एडवांस स्टेज में है तो रेडिएशन थेरेपी से इसे ठीक किया जाता है. रेडिएशन थेरेपी अकेले भी दी जाती है जबकि इसे कीमोथेरेपी के साथ भी दी जाती है. यह बीमारी की गंभीरता पर निर्भर करता है. रेडिएशन को एक्सटर्नल बीम के माध्यम से 5 से 6 सप्ताह तक दी जाती है. सर्वाइकल कैंसर में रेडिएशन सर्जरी की तरह ही प्रभावी है.

3. कीमोथेरेपी-एंडवांस सर्विकल कैंसर को मैनेज करने में कीमोथेरेपी बेहतरीन इलाज है. कीमोथेरेपी में सिस्पालाटिन दवा का सबसे आम इस्तेमाल होता है. जब इसे अकेले कीमोथेरेपी में दी जाती है तो यह रेडियोसेनिटाइजर की तरह काम करता है.

4. इम्यूनोथेरेपी-इम्यूनोथेरेपी में उस दवा का इस्तेमाल किया जाता है जिससे इम्यून सिस्टम बूस्ट होता है. यानी खुद की इम्यून को ही बीमारी से लड़ने के लिए तैयार किया जाता है. इसमें खर्च थोड़ा ज्यादा होता है.

सर्वाइकल कैंसर से बचाव कैसे करें
सर्वाइकल कैंसर से बचने का सबसे बेहतर तरीका यह है कि सिगरेट, शराब, प्रोसेस्ड फूड से दूर रहे और भोजन में एंटी-इंफ्लामेटरी फूड को बढ़ाएं. इसके साथ ही हर दो-तीन साल पर पेप स्मीयर टेस्ट कराएं. पेप स्मीयर टेस्ट में यदि एचपीवी वायरस दिखता है तो उसे तुरंत निकाल दिया जाता है. यह सबसे आसान तरीका है.

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