अंबा प्रसाद के घर ईडी की छापेमारी खत्म, 100 से ज्यादा बरामद हुए जरूरी दस्तावेज

Ranchi:

12 मार्च को ईडी ने कांग्रेस विधायक अंबा प्रसाद के घर पर छापेमारी शुरू की थी, जो 13 मार्च को समाप्त हो गई. अंबा प्रसाद के साथ ही उनके पिता पूर्व मंत्री योगेंद्र साव व उनके करीबियों के घर भी छापेमारी की गई थी. इस रेड में योगेंद्र साव के ठिकाने से जमीन के 100 से अधिक दस्तावेज बरामद किए गए. साथ ही बैंकों के सील मोहर भी जब्त किया गया. वहीं, इन दस्तावेजों से बैंकों के नाम पर जालसाजी करने की भी आशंका जताई जा रही है. साथ ही ईडी ने बालू के अवैध खनन से जुड़े रजिस्टर भी जब्त किए हैं. बता दें कि ईडी ने छापेमारी के दौरान विभिन्न ठिकानों से 30 लाख कैश भी जब्त किए, जिसमें से 15 लाख रुपये गोविंदपुर के सीओ शशि भूषण के घर से बरामद किए गए और 11 लाख रुपये योगेंद्र साव के साले मुकेश साव के आवास से जब्त किए गए हैं. इतना ही नहीं ईडी की टीम ने जांच के दायरे में शामिल लोगों के मोबाइल फोन भी जब्त कर लिए हैं. 

अंबा प्रसाद के यहां खत्म हुई ईडी की छापेमारी

आपको बता दें कि अंबा प्रसाद और योगेंद्र साव समेत ईडी की टीम ने कुल 17 ठिकानों पर छापेमारी की थी. कैश के साथ ही प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने जमीन में गड़बड़ी से संबंधित दस्तावेज भी जब्त किए हैं. इससे पहले वे हजारीबाग सदर में अंचल अधिकारी के पद पर पदस्थापित थे. पूर्व मंत्री योगेंद्र साव के घर से भी जमीन से जुड़े 100 से अधिक कागजात बरामद किए गए. योगेंद्र साव का बेटा अंकित राज भी अवैध बालू के कारोबार में शामिल है और जब ईडी की टीम ने उसके ठिकानों पर छापेमारी के लिए गई, उससे पहले ही वह अपने कार्यालय से कुछ दस्तावेज लेकर फरार हो गए. बावजूद इसके उसके ठिकानों पर हुई छापेमारी के दौरान कई अवैध खरीद-बिक्री से जुड़े कागजात मिले. दस्तावेज से यह सामने आया है कि अंकित राज काफी समय से बालू का अवैध कारोबार करता है. 

कांग्रेस विधायक ने बीजेपी पर लगाए गंभीर आरोप

बड़गांव से कांग्रेस विधायक ने कहा कि बीजेपी ने उन्हें चतरा और हजारीबाग से चुनाव लड़ने का ऑफर दिया था, लेकिन उन्होंने यह ऑफर ठुकरा दिया था. इसलिए ईडी का इस्तेमाल किया जा रहा है. बीजेपी के नेता भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ने को लेकर उन पर दवाब बनाने की कोशिश कर रहे थे. आपको बता दें कि यह पूरा मामला हजारीबाग के हुरहुरू स्थित खास महल की जमीन से जुड़ा हुआ है. इस जमीन को लेकर पहले भी हंगामा हो चुका है. जमीन के मामले में प्रशासन ने योगेंद्र साव के साथ लीजधारक को भी नोटिस भेजा था. दरअसल, यह जमीन मो. अहसान नाम के शख्स को लीज पर दी गई थी, जिसकी लीज 31 मार्च, 2008 को खत्म हो गई थी. वैसे यह जमीन सरकारी है, जिसे प्रशासन ने अतिक्रमणमुक्त करा लिया था. 

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