Khattar को CM बनाना भी चौंकाने वाला निर्णय था, उनकी विदाई भी आश्चर्यचकित कर गयी, Haryana में BJP ने जो चाल चली है उसको ठीक से समझें

हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर की जगह नायब सैनी को मुख्यमंत्री का पद सौंप कर भाजपा ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं। एक तो खट्टर के प्रति जनता की नाराजगी का खामियाजा अब संभवतः लोकसभा चुनावों में भाजपा उम्मीदवारों को नहीं भुगतना पड़ेगा, दूसरा इस फेरबदल के साथ ही भाजपा ने लगातार दबाव डाल रही सहयोगी पार्टी जजपा से भी छुटकारा पा लिया है जिससे अब राज्य की सभी 10 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का उसका रास्ता साफ हो गया है। नायब सैनी चूंकि ओबीसी नेता भी हैं इसलिए कांग्रेस के ओबीसी कार्ड का भी जवाब दे दिया गया है। साथ ही दुष्यंत चौटाला की पार्टी के अकेले लड़ने से अब हरियाणा में जाट वोटों का बंटवारा होगा जिससे सीधा फायदा भाजपा को होगा। गौरतलब है कि राज्य में कांग्रेस के अलावा जजपा और इंडियन नेशनल लोकदल का जाटों के बीच अच्छा प्रभाव है, यह सभी दल जब अलग-अलग उम्मीदवार उतारेंगे तो भाजपा से नाराज चल रहे जाट मतदाताओं के वोटों का बिखराव होगा। इसके अलावा कुरुक्षेत्र के सांसद नायब सैनी को मुख्यमंत्री बनाने से आम आदमी पार्टी की उम्मीदों को भी बड़ा झटका लगा है क्योंकि उसने हरियाणा में कांग्रेस के साथ गठबंधन के तहत कुरुक्षेत्र की सीट लेकर वहां अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है। अब मुख्यमंत्री के क्षेत्र से आम आदमी पार्टी की जीत की संभावनाएं बेहद क्षीण हो गयी हैं।

जहां तक हरियाणा की राजनीति में मंगलवार को हुए नाटकीय घटनाक्रम की सिलसिलेवार ढंग से बात है तो आपको बता दें कि राज्य में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और इसके कुछ ही देर बाद भारतीय जनता पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष नायब सिंह सैनी को विधायक दल का नेता चुन लिया गया। भाजपा विधायक दल की बैठक के बाद पार्टी विधायक सुभाष सुधा और जेपी दलाल ने घोषणा की कि नायब सैनी राज्य के नए मुख्यमंत्री होंगे। हम आपको बता दें कि विधायक दल की बैठक में केंद्रीय पर्यवेक्षक के तौर पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ और हरियाणा मामलों के प्रभारी बिप्लब देब मौजूद थे। विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद नायब सैनी ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ राज्यपाल से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश किया। शाम को राजभवन में राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने नये मंत्रिमंडल को शपथ दिलाई। मुख्यमंत्री नायब सैनी के अलावा उनके मंत्रिमंडल में रणजीत सिंह चौटाला, कंवर पाल गुर्जर, मूलचंद शर्मा, बनवारी लाल और जयप्रकाश दलाल समेत पांच विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई गयी।

हम आपको बता दें कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से ताल्लुक रखने वाले नायब सैनी कुरुक्षेत्र से सांसद हैं और पिछले साल अक्टूबर में उन्हें प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। नायब सैनी ने प्रदेश संगठन में कई पदों पर जिम्मेदारी संभाली है। वह भाजपा की युवा इकाई भारतीय जनता युवा मोर्चा में भी कई दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। साल 2012 में उन्हें भाजपा ने अंबाला का जिला अध्यक्ष बनाया था और फिर साल 2014 में वह नारायणगढ़ विधानसभा क्षेत्र से जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचे। वह हरियाणा सरकार में राज्य मंत्री भी रहे हैं। साल 2019 में वह कुरुक्षेत्र से सांसद चुने गए थे।

हरियाणा में मुख्यमंत्री को ऐसे समय में बदला गया है, जब लोकसभा चुनाव की घोषणा होने में कुछ ही दिन बचे हैं। हरियाणा में हुए राजनीतिक घटनाक्रम के बाद खट्टर के बारे में माना जा रहा है कि पार्टी ने उन्हें करनाल संसदीय सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए कहा है। वह साढ़े नौ साल तक मुख्यमंत्री रहे। मुख्यमंत्री के रूप में उनका नाम जब सामने आया था तब भी लोगों को हैरानी हुई थी और पद से उनकी रवानगी जिस तरह अचानक हुई उससे भी लोगों को हैरानी हुई। वैसे देखा जाये तो हरियाणा में दो लोग सबसे ज्यादा नुकसान में रहे। इनमें गृह मंत्री रहे अनिल विज और उपमुख्यमंत्री रहे दुष्यंत चौटाला का नाम शामिल है। शपथ समारोह में खट्टर सरकार में गृह मंत्री रहे अनिल विज नहीं आये। वह भाजपा विधायक दल की बैठक से भी बीच में ही चले गये थे। उन्हें उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री पद उन्हें मिलेगा लेकिन उनका बड़बोलापन और खट्टर से उनके तनावपूर्ण रिश्ते उनकी राह में आ गये। खट्टर के करीबी माने जाने वाले नायब सैनी बाजी मारने में सफल रहे। 

हम आपको यह भी बता दें कि हरियाणा में इसी साल अक्टूबर में विधानसभा चुनाव भी होने हैं। भाजपा ने इससे पहले भी कई राज्यों में चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री बदल कर सत्ता में वापस लौटने का रिकॉर्ड बनाया है इसलिए देखना होगा कि क्या हरियाण में भाजपा लगातार तीसरी जीत दर्ज कर पाती है या नहीं? इसके अलावा, हरियाणा के नए मंत्रिमंडल में पुराने मंत्रिमंडल के विवादित और बड़बोले नेताओं को शामिल नहीं कर उनसे जुड़े विवादों से भी पार्टी ने किनारा कर लिया है। वहीं दुष्यंत चौटाला की बात करें तो उनकी पार्टी के विधायक जिस तरह टूट कर भाजपा के साथ चले गये हैं उससे सर्वाधिक नुकसान उन्हें ही दिख रहा है क्योंकि एक तो उनका उपमुख्यमंत्री पद गया और दूसरा पार्टी के विधायक भी टूट गये।

खास बात यह भी है कि खट्टर को ऐसे वक्त हटाया गया जब एक दिन पहले गुरुग्राम में मौजूद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक सरकारी कार्यक्रम में हरियाणा के मुख्यमंत्री की जमकर तारीफ की थी। तब किसी को यह अनुमान भी नहीं था कि अगले ही दिन खट्टर को इस्तीफा देना पड़ जाएगा। हम आपको याद दिला दें कि हरियाणा विधानसभा के पिछले चुनाव के बाद भाजपा ने जननायक जनता पार्टी (जजपा) के साथ मिलकर और कुछ निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सरकार बनाई थी। मनोहर लाल खट्टर मुख्यमंत्री और जजपा अध्यक्ष दुष्यंत चौटाला उपमुख्यमंत्री बने थे। खट्टर ने आज जब मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया, तब राज्य मंत्रिपरिषद में उनको मिलाकर कुल 14 मंत्री थे। इसमें जजपा के तीन सदस्य भी शामिल थे। जजपा आगामी लोकसभा चुनाव में हिसार और भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से अपना उम्मीदवार उतारना चाह रही थी, लेकिन भाजपा दोनों सीट छोड़ने के लिए तैयार नहीं थी, क्योंकि पिछले लोकसभा चुनाव में उसने राज्य की सभी 10 सीट पर जीत हासिल की थी।

दुष्यंत चौटाला ने सोमवार को भाजपा अध्यक्ष नड्डा के साथ सीटों के बंटवारे के सिलसिले में बातचीत भी की थी, लेकिन संभवत: वह विफल रही। इससे पहले कि गठबंधन टूटने को लेकर कोई औपचारिक घोषणा होती, भाजपा ने मुख्यमंत्री खट्टर का इस्तीफा दिला दिया और विधायक दल के नए नेता का चयन कर लिया। वर्तमान में, 90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा में भाजपा के 41 विधायक और जजपा के 10 विधायक हैं। इस गठबंधन को सात में से छह निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन प्राप्त था। आंकड़ों के लिहाज से, भाजपा सरकार को फिलहाल कोई खतरा नहीं दिख रहा है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के 30 विधायक हैं और इंडियन नेशनल लोकदल तथा हरियाणा लोकहित पार्टी के पास एक-एक सीट है।

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