स्कूल के टीचर का कमाल, अपने बोनस के पैसे से बदल दी क्लासरूम की तस्वीर

स्कूल के टीचर का कमाल, अपने बोनस के पैसे से बदल दी क्लासरूम की तस्वीर

टीचर ने अपने बोनस से कर दिया क्लासरूम का कायाकल्प, सोशल मीडिया पर हो रही तारीफ

दुनियाभर में गुरु का स्थान भगवान के सामान माना जाता है. कहते हैं एक गुरु ही हैं, जो अपने शिष्य के बेहतर और सफल भविष्य का निर्माण करने में अहम भूमिका निभाते हैं. यूं तो शिक्षक बच्चों के भविष्य के साथ-साथ राष्ट्र के भी निर्माता हैं. शिक्षकों के बिना समाज राष्ट्र के विकास की कल्पना नहीं की जा सकती. एक शिक्षक हर वो कोशिश करने से पीछे नहीं हटते, जो उनके शिष्य के हित में हो. हाल ही में एक ऐसे ही नेकदिल टीचर, सोशल मीडिया पर छाए हुए हैं और खूब सुर्खियां बटोर रहे हैं, जिन्होंने अपने स्टूडेंट्स को अहम सुविधाएं देने के लिए अपने बोनस के सारे पैसे लगा दिया.

बोनस के पैसों से क्लासरूम का कायाकल्प

वायरल हो रहा यह मामला मलेशिया का बताया जा रहा है, जहां एक टीचर ने अपने बोनस के पैसों से क्लासरूम का कायाकल्प कर दिया. यूं तो दुनियाभर में आज भी ऐसे कई स्कूल हैं, जहां स्टूडेंट्स को अहम सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं. ऐसे में मलेशिया के एक टीचर की दिल छू लेने वाली पहल इन दिनों मिशाल बनी हुई है. टीचर ने अपने फर्ज से ऊपर उठकर बच्चों को जो सुविधाएं देने का काम किया है, वो तारीफे काबिल है. यही वजह है कि, सोशल मीडिया पर लोग उनकी तारीफों के पुल बांधे नहीं थक रहे हैं.

यहां देखें वीडियो

मलेशिया के वायरल हो रहे टीचर का नाम कमल डार्विन बताया जा रहा है, जिन्होंने अपने बोनस के पैसों का इस्तेमाल क्लास को रिनोवेट करने में किया है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर इस पोस्ट को@weirdkaya नाम के अकाउंट से शेयर किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, तीन महीने पहले ही कमल डार्विन ने स्कूल जॉइन किया था. इस बीच उन्होंने कक्षा के माहौल के महत्वपूर्ण प्रभाव को पहचाना और छात्रों के सीखने कुछ अच्छा सीखाने के उद्देश्य से कक्षा बनाने की योजना बनाई, जो आरामदायक और आकर्षक लगे.

सोशल मीडिया यूजर्स ने बांधे तारीफों के पुल

6 दिन पहले शेयर किए गए इस पोस्ट को खूब देखा और पसंद किया जा रहा है. पोस्ट पर यूजर्स एक से बढ़कर एक प्रतिक्रियाएं देते हुए तारीफ करते नहीं थक रहे हैं. एक यूजर ने लिखा, अगर शिक्षकों को इसके लिए अपनी मेहनत की कमाई का बोनस दान करने की जरूरत है, तो यह हमारे स्कूलों के लिए फंडिंग के बारे में क्या कहता है? एक अन्य ने लिखा, धन्यवाद..लेकिन स्कूल वेलफेयर को शर्म आनी चाहिए, जिसे छात्रों की जरूरतों के लिए बनाया गया है.



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