तनुज पाण्डे/ नैनीताल. उत्तराखंड के नैनीताल जिले के घुग्घूखाम में स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय में बीते कुछ साल में छात्रों की संख्या कम हुई है. यह संख्या कम होते-होते सिर्फ एक छात्र तक पहुंच गई है. इस स्कूल में सिर्फ एक छात्र है, जिसकी पढ़ाई का जिम्मा दो शिक्षकों पर है. आमतौर पर सरकारी स्कूलों में टीचरों की कमी के कारण पढ़ाई प्रभावित होने की बात सामने आती है, पर नैनीताल जिले में स्थित एक प्राथमिक विद्यालय की तस्वीर कुछ अलग है. यहां एक छात्र को पढ़ाने के लिए दो शिक्षक तैनात हैं.
जिला मुख्यालय से लगभग 19 किलोमीटर दूर घुग्घूखाम ग्राम सभा में 500 से अधिक की आबादी है. इस ग्राम सभा के बच्चों के लिए सबसे पास यही प्राइमरी स्कूल है, लेकिन सवाल यह उठता है कि पूरी ग्राम सभा में सिर्फ एक प्राथमिक विद्यालय होने के बावजूद भी बच्चों की संख्या इतनी कम क्यों है.
साल दर साल हाल कम हुई छात्रों की संख्या
प्राइमरी स्कूल की प्रिंसिपल शबाना सिद्दीकी बताती हैं कि अभिभावक खुद अपने बच्चों का नाम कटवा कर शहर में स्थित प्राइवेट स्कूलों में भेज रहे हैं. उन्होंने बताया कि इस तरह धीरे-धीरे हमारे स्कूल में बच्चों की संख्या कम होती गई और आज पूरे स्कूल में सिर्फ एक बच्चा है, जिसकी पढ़ाई का जिम्मा दो टीचरों पर है.
तो क्या बंद हो जाएगा एकमात्र स्कूल?
मुख्य शिक्षा अधिकारी जगमोहन सोनी ने इस बारे में कहा कि जल्द प्राथमिक विद्यालय का निरीक्षण किया जाएगा और वहां बच्चों की संख्या बढ़ाने का हर संभव प्रयास किया जाएगा. अगर इस स्कूल में छात्र संख्या कम रहती है, तो यहां के शिक्षक को अधिक छात्र संख्या वाले स्कूल में समायोजित किया जाएगा. वहीं ऐसे में सवाल यह उठता है कि अगर टीचरों को दूसरे स्कूल की जिम्मेदारी दी जाएगी, तो क्या घुग्घूखाम ग्रामसभा में स्थित एकमात्र प्राथमिक विद्यालय बंद हो जाएगा.
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FIRST PUBLISHED : March 11, 2024, 14:18 IST