रतलामी सेव के बाद अब लहसुन को भी मिला जीआई टैग, जाने यह स्वास्थ्य के लिए ज्यादा बेहतर क्यों

भोपाल. मध्यप्रदेश ने फिर से एक बार जीआई टैग के मामले में बाजी मार ली है. रतलामी सेव के बाद रतलाम की पिपलौदा तहसील के गांव रियावन के लहसुन को भी जीआई टैग हासिल हुआ है. इससे लहसुन को अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक प्रसिद्ध उत्पाद बनाने में मदद मिलेगी.

उद्यानिकी विभाग के सहायक संचालक टीसी वास्कले ने बताया कि किसानों की रियावन फार्म फ्रेश प्रोड्यूसर कंपनी ने रतलाम लहसुन के जीआई पंजीकरण का आवेदन जनवरी 2022 में चेन्नई में किया था. इसके बाद से लगातार जीआई टैग हासिल करने का प्रयास किया जा रहा था. आखिरकार इसमें सफलता मिली है.

गौरतलब है कि रियावन लहसुन अपनी अनोखी विशेषता और बंपर उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है. जीआई टैग मिलने की वजह भी इसके तीखे स्वाद, अधिक तेल, औषधीय गुणों और कली के बड़े आकार के साथ-साथ अधिक दिन तक भंडारण क्षमता जैसे गुण शामिल हैं. इन विशेषताओं के कारण रतलाम प्रमुख लहसुन उत्पादक जिला बन गया है. प्रदेश सरकार भी एक जिला एक उत्पाद स्कीम के तहत लहसुन को प्रमोट कर रही है.

जीआई टैग का फायदा
जीआई टैग रियावन लहसुन को एक विशिष्ट पहचान प्रदान करता है और इसे नकली उत्पादों से बचाता है. जीआई टैग वाले उत्पादों की बाजार में मांग अधिक होती है, क्योंकि उपभोक्ता इन उत्पादों की गुणवत्ता और विशिष्टता को जानते हैं. जीआई टैग वाले उत्पादों को आमतौर पर गैर-जीआई टैग वाले उत्पादों की तुलना में अधिक मूल्य पर बेचा जाता है. यह टैग अंतरराष्ट्रीय बाजार में लहसुन की मांग को बढ़ाने में भी मदद करेगा.

20 साल से हो रही है खेती
रियावन में लहसुन की खेती 20 साल से अधिक समय से हो रही है. इस लहसुन की खेती परंपरागत तरीके से की जाती है. रियावन व अन्य गांवों में करीब 18000 हेक्टेयर में रतलाम लहसुन की खेती हो रही है और 700 से अधिक किसान उत्पादन ले रहे हैं. इन किसानों ने रियावन फार्म फ्रेश प्रोड्यूसर कंपनी बनाई है, जिससे उन्हें बीज, दवाई, मार्गदर्शन, और मार्केटिंग की सहायता मिल रही है.

रतलामी सेव के बाद अब लहसुन को भी मिला जीआई टैग, जानें यह स्वास्थ्य के लिए बेहतर क्यों...

रियावन लहसुन की विशेषताएं

  • बंपर उत्पादन
  • तीखा स्वाद
  • अधिक तेल
  • औषधीय गुण
  • बड़े आकार की कली
  • अधिक भंडारण क्षमता

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