गौ मूत्र का चमत्कार,किसान ने चिया की फसल पर छिड़का, आंखों पर नहीं हो रहा यकीन

रिपोर्ट-अमित कुमार
समस्तीपुर. सुपर फूड सिर्फ आपकी सेहत ही नहीं किस्मत भी बदल सकता है. और अगर उसके साथ   गौ मूत्र का इस्तेमाल किया जाए तो मानो बल्ले बल्ले. समस्तीपुर के किसान ने इसे साबित कर दिया है. सुपरफूड की खेती औऱ गौ मूत्र के छिड़काव ने उन्हें मालदार बना दिया है. इसकी खेती में समय और लागत बहुत कम लगती है और मुनाफा भरपूर.

समस्तीपुर जिले के किसानों ने अब खेती का तरीका ही नहीं फसल भी बदल दी है. इससे कम लागत और कम समय में काफी मुनाफा होता है. समस्तीपुर जिले के मोहिउद्दीननगर प्रखंड क्षेत्र के किसान आलू, मक्का, सरसों की खेती करते आ रहे हैं. इसमें मेहनत बहुत और मुनाफा मामूली होता था. इन सब से हटकर पटोरी शहर के रहने वाले सुबोध कुमार ने चिया सीड्स की खेती शुरू की. शुरुआत उन्होंने साढ़े तीन एकड़ जमीन लीज पर लेकर की. और उनका फैसला सही साबित हुआ. सुबोध को अब प्रति एकड़ 66 हजार रुपए का मुनाफा हो रहा है.

सुबोध बताते हैं इस खेत में डीएपी का खाद का उपयोग वो बिलकुल नहीं करते. सिर्फ जैविक खाद और खासतौर से गौमूत्र का उपयोग करते हैं. ये फसलों के लिए वरदान साबित हुआ. शुरुआत में उन्होंने एक एकड़ में सिर्फ चिया सीड्स लगाए थे. खर्चा काट कर 66000 का मुनाफा हुआ था. आज वह साढ़े 3 एकड़ में चिया सीड्स की खेती कर रहे हैं.

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3 से 4 महीने में तैयार होती है फसल
सुबोध कुमार ने जानकारी दी कि यह फसल 3- 4 महीने के अंदर तैयार हो जाती है. अगर किसान एक एकड़ में चिया सीड्स की खेती करना चाहते हैं, तो उन्हें 4 से 5 किलोग्राम प्रति एकड़ बीज की जरूरत पड़ेगी. एक एकड़ खेत में चिया सीड्स उगाने पर 25 से30 हजार तक की लागत आती है. 1 किलो बीज में तीन महीने के अंदर 1 क्विंटल उत्पादन मिल जाता है.

यहां होता है उपयोग
सुबोध कुमार ने बताया चिया सीड का प्रयोग औषधि के रूप में अधिक होता है. इसलिए बाजार में इसकी डिमांड भी ज्यादा है. भारत में सुपर फूड्स की मांग और खपत में लगातार वृद्धि हो रही है. इसी वजह से अधिक से अधिक किसान इसकी खेती की ओर रुख कर रहे हैं. उन्होंने कहा जिस कंपनी से बीज खरीदते हैं. फसल तैयार होने पर उसी कंपनी के हाथों बेच दिया जाता है.

Tags: Health benefit, Local18, Medicinal Farming, Samastipur news

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