2019 के लोकसभा चुनावों में पश्चिम बंगाल में भाजपा के चमत्कारिक प्रदर्शन ने सबको चौंका दिया था। 2019 में भाजपा ने अपने वोट प्रतिशत में तो इजाफा किया ही था साथ ही सीटों की संख्या भी 18 तक पहुँचा कर सभी विश्लेषकों को चौंका दिया था। तृणमूल कांग्रेस के लिए तो यह ऐसा झटका था जिससे पार्टी लंबे समय तक नहीं उबर पाई थी। इस बार भी लोकसभा चुनावों में मुख्य मुकाबला तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच ही होने के आसार हैं। यह दोनों ही दल अपने बलबूते चुनाव लड़ने जा रहे हैं और सभी सीटों पर एक दूसरे को कड़ी टक्कर देते नजर आ रहे हैं। भाजपा को भरोसा है कि तृणमूल कांग्रेस की 12-13 साल की सत्ता से उपजी नाराजगी का लाभ तो उसे मिलेगा ही साथ ही संदेशखाली मुद्दे को लेकर जिस तरह लोगों में गुस्सा है उसका लाभ भी पार्टी को मिलेगा। इसके अलावा, मोदी सरकार जल्द ही सीएए के नियमों को भी लाने जा रही है जिससे भाजपा का एक बड़ा चुनावी वादा पूरा होगा और मतदाताओं का ध्रुवीकरण होगा। इसके अलावा, पश्चिम बंगाल में तमाम मंत्रियों के भ्रष्टाचार और तृणमूल कांग्रेस नेताओं के कदाचार को लेकर जिस तरह राज्य में सत्तारुढ़ पार्टी बैकफुट पर है उसका लाभ लेने का भाजपा कोई मौका छोड़ भी नहीं रही है और लगातार उसका रुख आक्रामक बना हुआ है। भाजपा को जहां इस बात का भरोसा है कि वह इस बार बंगाल में अपनी सीटों की संख्या बढ़ाने में सफल रहेगी वहीं तृणमूल कांग्रेस भी पूरा प्रयास कर रही है कि भाजपा को आगे बढ़ने से रोका जाये। लेकिन ओपिनियन पोल दर्शा रहे हैं कि बंगाल में भी मोदी लहर देखने को मिल रही है।
हम आपको बता दें कि इंडिया टीवी-सीएनएक्स की ओर से किए गए ओपिनियन पोल के अनुसार, अगर अभी लोकसभा चुनाव होते हैं तो भारतीय जनता पार्टी पश्चिम बंगाल की कुल 42 लोकसभा सीटों में से 20 सीटें जीत सकती है जबकि ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस चुनाव में 21 सीटें जीत सकती है। ओपिनियन पोल के मुताबिक, पश्चिम बंगाल में तृणमूल 21 सीटों के साथ सबसे आगे है, बीजेपी 20 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर है और शेष एक सीट कांग्रेस के खाते में जा सकती है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि राज्य में वाम मोर्चे को कोई सीट नहीं मिलेगी।
हम आपको बता दें कि ओपिनियन पोल के मुताबिक लोकसभा चुनावों में टीएमसी को 44.5 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है जबकि भाजपा को 43 फीसदी वोट मिल सकते हैं। वाम मोर्चा को 5.68 फीसदी, कांग्रेस को 3.62 फीसदी और अन्य को 3 फीसदी वोट मिलने की संभावना है। अन्य दलों में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा, कुछ छोटे दल और निर्दलीय शामिल हैं। हम आपको याद दिला दें कि पश्चिम बंगाल में 2019 के लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने 22 सीटें जीती थीं, जबकि भाजपा ने 18 और कांग्रेस ने दो सीटें जीती थीं। ओपिनियन पोल के अनुमानों को यदि क्षेत्रवार देखें तो प्रतीत होता है कि 8 सीटों वाले उत्तरी बंगाल में भाजपा 6 और तृणमूल कांग्रेस 2 सीटें जीत सकती है। 12 सीटों वाले दक्षिण पूर्व बंगाल में तृणमूल कांग्रेस 8, भाजपा 3 और कांग्रेस 1 सीट जीत सकती है। इसके अलावा, 5 सीटों वाले ग्रेटर कोलकाता में तृणमूल कांग्रेस 4 सीटें और भाजपा 1 सीट जीत सकती है। 17 सीटों वाले दक्षिण पश्चिम बंगाल में भाजपा को 10 और तृणमूल कांग्रेस को 7 सीटों पर जीत मिल सकती है।
जहां तक पश्चिम बंगाल की लोकसभा सीटों की बात है तो आपको बता दें कि उत्तर बंगाल क्षेत्र में कूच बिहार, अलीपुरद्वार, जलपाईगुड़ी, दार्जिलिंग, रायगंज, बालुरघाट, मालदा उत्तर और मालदा दक्षिण आती हैं। जबकि दक्षिण पूर्व बंगाल क्षेत्र में जंगीपुर, बेहरामपुर, मुर्शिदाबाद, कृष्णानगर, राणाघाट, बनगांव, बैरकपुर, बारासात, बशीरहाट, जॉयनगर, मथुरापुर और डायमंड हार्बर लोकसभा सीटें आती हैं। इसी प्रकार दक्षिण पश्चिम बंगाल क्षेत्र में उलुबेरिया, सेरामपुर, हुगली, आरामबाग, तमलुक, कांथी, घाटल, झाड़ग्राम, मेदिनीपुर, पुरुलिया, बांकुरा, बिष्णुपुर, बर्धमान पूर्व, बर्धमान दुर्गापुर, आसनसोल, बोलपुर और बीरभूम लोकसभा सीटें आती हैं। ग्रेटर कोलकाता क्षेत्र की लोकसभा सीटों की बात करें तो इसमें दम दम, जादवपुर, कोलकाता दक्षिण, कोलकाता उत्तर और हावड़ा शामिल हैं।