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महज 30 दिनों में फसल तैयार भी हो गई और पैदावार उम्मीद से कई गुना ज्यादा हुई. कमलेश की मानें तो सफल पैदावार के बाद उन्होंने हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, मणिपुर, असम और अरुणाचल प्रदेश के किसानों को इसके बीजों की सप्लाई की.