ऋतु राज/मुजफ्फरपुर. आमतौर पर हम सभी के घर के किचन से रोज बड़ी मात्रा में कचरा या कूड़ा-करकट निकलता है. इसके उचित इस्तेमाल के बारे में सोचे बिना बहुत से लोग कचरे को घर से बाहर फेंक देते हैं. लेकिन क्या आपको मालूम है कि आपके फेंके किचन वेस्ट का सही और सटीक इस्तेमाल भी किया जा सकता है. जी हां, किचन वेस्ट को आप सिर्फ कचरा न समझें, बल्कि इससे नगर निगम खाद तैयार कर किसानों को बेच रहा है.
60 से 90 दिनों में तैयार होता है जैविक खाद
रमण कुमार ने बताया कि गीले कचरे से जैविक खाद बनाने के लिए सबसे पहले शहर से कचरा स्टोर कर इसमें से गीला कचरा अलग कर लिया जाता है. फिर उसकी कटाई की जाती है. इसके बाद कंपोस्ट पीट में डाल देते हैं. फिर उसमें नारियल का छिलका, गोबर एक लेयर, भूसा का एक लेयर, फिर एक फीट गिला कचरा, उसके बाद इफेक्टिव मैक्रोज का छिड़काव कर इसे 15 से 20 दिनों तक छोड़ देते हैं.
इसके बाद पीट से निकालकर फिर छिड़काव कर इसमें डाल देते हैं. ऐसा दो से तीन बार कर मिक्स किया जाता है. रमण ने बताया कि लंबी प्रक्रिया के बाद गीले कचरे से जैविक खाद तैयार किया जाता है. गर्मी में 60 दिन और सर्दी में 90 दिन में खाद तैयार हो जाता है. फिर उसे दो दिन सुखाया जाता है. इसके बाद चालने वाली मशीन में डालकर खाद और वेस्टेज को अलग-अलग कर बिक्री केंद्र भेज दिया जाता है.
5 रुपए किलो रखा गया है रेट
जैविक खाद निर्माण के यूनिट हेड प्रीतम कुमार ने बताया कि इस खाद का कोई साइड इफेक्ट नहीं है. कई प्रोसेस से गुजरने के बाद यह तैयार होता है. सुबह 6 बजे से दोपहर 2 बजे तक इसका काम होता है. यहां के स्टाफ जैविक खाद को पूरी प्रक्रिया से तैयार करते हैं. किसान इस जैविक खाद को बहुत पसंद कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि नगर निगम अभी तक कुल 45 टन खाद की बिक्री कर चुका है. इसकी कीमत 5 रुपए प्रति किलो की दर से किसानों से ली जाती है.
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FIRST PUBLISHED : February 27, 2024, 21:47 IST