राजकुमार सिंह/वैशाली : पिछले कुछ वर्षों से बिहार के किसान परंपरागत खेती को छोड़ वैसे नगदी फसलों की खेती कर रहे हैं जो मोटा मुनाफा दे देती है. इसमें फलों की खेती किसानों के व्यवसायिक दृष्टिकोण काफी कारगर साबित हो रहा है. वैशाली जिला के सदर प्रखंड स्थित मालीपुर गांव के किसान संदीप कुमार भी इलाहाबादी अमरूद की खेती कर बेहतर मुनाफा कमा रहे हैं. संजीत कुमार एक बीघा में इलाहाबादी वैरायटी के अमरूद के पौधे लगाए हैं. अमरूद की बागवानी से सालाना 5 से 6 लाख तक की कमाई भी कर ले रहे हैं.
एक एकड़ में कर रहे हैं अमरुद की बागवानी
संजीत कुमार ने बताया कि पिताजी पहले 5 कट्ठे में अमरूद की बागवानी करते थे. संजीत ने बताया कि ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी के सिलसिले में बिहार से बाहर दूसरे प्रदेश में चले गए, लेकिन अच्छी नौकरी नहीं मिल पाई. इसके बाद वापस गांव आ गए और पिता का खेती में हाथ बंटाने लगे. उन्होंने बताया की शुरुआत में पिताजी धान, गेहूं और आलू की खेती किया करते थे.
अधिक मुनाफा कमाने के लिए पिछले 10 वर्षों से अमरूद की बागवानी करने लगे लगे थे. संजीत ने बताया कि पिता के ही नक्शे कदम पर चलकर अमरूद की ही बागवानी करने का निर्णय लिया. एक बीघे में इलाहाबादी वैरायटी के अमरूद का पौधा लगाया. इस वैरायटी के पेड़ से दो बार फल प्राप्त हो जाता है.
सालाना 6 लाख की कर लेते हैं कमाई
संजीत ने बताया कि अमरूद की साल भर डिमांड रहती है. इलाहाबादी अमरूद का स्वाद लाजवाब होता है. खास बात यह है किसका साइज भी बड़ा होता है. वहीं एक कट्ठे में सालाना 3 से 4 हजार का खर्च आता है. जबकि साल में दो बार अमरूद का फल प्राप्त कर बाजार में बिक्री करने के बाद 6 लाख से अधिक की कमाई हो जाती है.
अमरूद की बागवानी में ज्यादा मेहनत भी नहीं है. यह कम लागत में बेहतर मुनाफा देने वाला फल है. खास बात यह है कि बिहार में अमरूद की खेती के लिए मिट्टी अनुकूल है. उन्होंने बताया कि अमरूद की बिक्री करने का झंझट नहीं रहता है. पटना के व्यापारी बागान आकर अमरुद ले जाते हैं. किसान चाहे तो पारंपरिक खेती के साथ अमरूद की बागवानी भी कर सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED : February 23, 2024, 21:30 IST