जालना। मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने सोमवार को महाराष्ट्र सरकार पर मराठा आरक्षण के मूल मुद्दे से ध्यान भटकाने का आरोप लगाया और दावा किया कि वह समुदाय के लिए एक अलग आरक्षण पर विचार कर रही है। जरांगे ने कुनबी मराठाओं के ‘रक्त संबंधियों’ से संबंधित मसौदा अधिसूचना को कानून में बदलने के लिए महाराष्ट्र विधानमंडल का विशेष सत्र बुलाने की मांग को लेकर अपना अनिश्चितकालीन अनशन तीसरे दिन भी जारी रखा।
पिछले साल दिसंबर में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा था कि पिछड़ा वर्ग आयोग की एक रिपोर्ट की समीक्षा के बाद मराठा समुदाय को आरक्षण प्रदान करने के लिए यदि आवश्यक हुआ तो फरवरी में राज्य विधानमंडल का एक विशेष सत्र आयोजित किया जाएगा। जरांगे ने सोमवार को मसौदा अधिसूचना के तत्काल कार्यान्वयन की अपनी मांग दोहराई, जिसमें कहा गया है कि मराठा व्यक्ति के ऐसे रक्त संबंधियों को कुनबी के रूप में मान्यता दी जाएगी जिनके पास यह दिखाने के लिए दस्तावेज हैं कि वे कुनबी समुदाय से हैं।
मराठाओं को आरक्षण देने के लिए विशेष सत्र बुलाने की महाराष्ट्र सरकार की मंशा पर सवालों के जवाब में उन्होंने सरकार पर समुदाय के लिए आरक्षण के मुख्य मुद्दे से ध्यान भटकाने का आरोप लगाया। जरांगे ने कहा कि वह मराठाओं के लिए अलग कोटा के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन विशेष सत्र में कुनबी मराठाओं के रक्त संबंधियों पर मसौदा अधिसूचना को कानून में परिवर्तित करने पर केंद्रित किया जाना चाहिए और उन लोगों को कुनबी जाति प्रमाणपत्र जारी किए जाने चाहिए, जिनके दस्तावेजों का सत्यापन हो चुका है।
कुनबी समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के तहत आरक्षण प्राप्त है। स्वास्थ्य को लेकर चिंताओं के बीच, 40 वर्षीय कार्यकर्ता ने डॉक्टरों को अपनी जांच करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया। उन्होंने शनिवार से भोजन-पानी छोड़ रखा है। एक साल से भी कम समय में यह चौथी बार है जब वह मराठा समुदाय को ओबीसी में शामिल करने की मांग को लेकर अनशन कर रहे हैं।
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