दीपक कुमार/ बांका: विपरीत परिस्थितियों में भी जिनका कदम नहीं डगमगाता है, वो एक दिन सफलता जरूर हासिल करते हैं. कमोवेश यही स्थिति बांका के रहने वाले दो भाइयों की है. कोरोना कल में दोनों भाई की नौकरी चली गई तो आर्थिक परेशानी के चलते परेशान रहने लगे. इस दौरान भी मन में कुछ ना कुछ करने की सोच चल रही थी. काफी विचार करने के बाद कपड़ा उद्योग से जुड़ने का प्लान बनाया. हालांकि शुरुआत में सफलता नहीं मिली, लेकिन हिम्मत हारे बगैर काम को बढ़ाते गए.
इस दौरान पता चला कि स्टार्टअप के लिए उद्योग विभाग भी मदद करता है. तब 2021 में उद्योग विभाग से 10 लाख का लोन लेकर बृहद पैमाने पर कपड़े का मैन्युफैक्चरिंग कार्य शुरू किया. इसके बाद कभी पीछे मुड़कर देखने की जरूरत नहीं पड़ी. आज दोनों भाई की अच्छी कमाई भी हो रही है. क्लॉथ मैन्युफैक्चरिंग यूनिट के संचालक दीपक कुमार ने बताया कि कोरोना काल में बड़े भाई मंतेश कुमार को भी नौकरी से हाथ धोना पड़ गया था. उन्होंने बताया कि 5 साल पूर्व जब कपड़ा बनाने का काम शुरू किया था तो बाजार का ट्रेंड समझ नहीं पा रहा था. शुरुआती दौर में लेडिस गारमेंट बनाने का काम करते थे, लेकिन उसमें सफलताएं नहीं मिली. जिसका कारण यह था कि लेडिस गारमेंट्स का डिजाइन हर दो महीने में हीं बदल जाता था, जिसे काफी परेशानियां हुई और लाखों का नुकसान भी हुआ.
दोनों भाई की जुगलबंदी से बिजनेस हुआ हिट
बड़ा भाई मंतेष कुमार फैशन डिजाइनिंग का काम करते थे. इसलिए उनके हुनर को इस्तेमाल करने के लिए राजी कर लिया. अब आलम यह है कि बड़ा भाई डिजाइन तैयार करते हैं और मैं खुद कपड़ा सीलता हूं. दोनों भाई की जुगलबंदी एक दूसरे का काम आ रहा है.
5 साल पूर्व दो मशीन से की थी शुरुआत
दीपक कुमार ने बताया कि 5 साल पूर्व दो सिलाई मशीन से कपड़ा सिलाई का काम शुरू किया था. दोनों भाई ने मिलकर नई सोच के साथ इस व्यवसाय को बढ़ाया तो अभी रोजाना 25 से अधिक मशीन से कपड़ों की सिलाई हो रही है. जिसमें 16 अधिक लोग यहां काम रहे हैं. रोजाना के करीबन 250 से अधिक कपड़े बनकर तैयार होते हैं जो लोकल बाजार के साथ पूरे बिहार में सेल की जाती है. यहां मुख्य रूप सेस्कूल यूनिफॉर्म, शर्ट, पेंट, टी-शर्ट, ट्राउजर और ब्लेजर बनाने का काम कर रहे हैं. सालाना 10 लाख की कमाई दोनों भाई मिलकर कर लेते हैं.
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FIRST PUBLISHED : February 7, 2024, 17:54 IST