दिल्ली हाईकोर्ट ने धनशोधन मामले में संजय सिंह की जमानत याचिका खारिज की

दिल्ली हाईकोर्ट ने धनशोधन मामले में संजय सिंह की जमानत याचिका खारिज की

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली आबकारी नीति ‘घोटाले’ से संबंधित धन शोधन मामले में गिरफ्तार आम आदमी पार्टी (आप) के नेता संजय सिंह को जमानत देने से बुधवार को इनकार कर दिया. न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने सिंह की जमानत याचिका खारिज कर दी, लेकिन निचली अदालत को सुनवाई शुरू होने पर इसमें तेजी लाने का निर्देश दिया. सिंह दिल्ली से राज्यसभा के लिए फिर से निर्वाचित हुए हैं.

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न्यायमूर्ति शर्मा ने आदेश सुनाते हुए कहा, ‘इस स्तर पर आरोपी को जमानत देने का कोई आधार नहीं बनता है.’ न्यायाधीश ने कहा कि सिंह निष्पक्ष सुनवाई के हकदार हैं. उन्होंने कहा, ‘यह अदालत निचली अदालत को वर्तमान मामले में सुनवाई शुरू होने पर इसमें तेजी लाने का निर्देश देती है.’

फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति शर्मा ने कहा कि जमानत देने के इस चरण में सरकारी गवाह दिनेश अरोड़ा के बयान की स्वीकार्यता के मुद्दे की पड़ताल नहीं की जा सकती और इसकी पड़ताल सुनवायी के दौरान की जाएगी. अदालत ने कहा कि सिंह के खिलाफ ‘सामग्री’ को देखते हुए, जिसमें सरकारी गवाह और अन्य गवाहों के बयान भी शामिल हैं, इस स्तर पर राहत नहीं दी जा सकती है.

ईडी द्वारा 4 अक्टूबर, 2023 को गिरफ्तार किए गए सिंह ने इस आधार पर जमानत का अनुरोध किया था कि वह तीन महीने से अधिक समय से हिरासत में हैं और इस अपराध में उनकी कोई भूमिका नहीं दिखाई गई है.

जांच एजेंसी ने जमानत याचिका का विरोध किया और दलील दी कि सिंह 2021-22 की नीति अवधि से संबंधित दिल्ली शराब घोटाले से उत्पन्न अपराध की आय को प्राप्त करने, रखने, छिपाने और उपयोग करने में शामिल थे.

ईडी ने दावा किया कि सिंह कथित घोटाले में एक प्रमुख साजिशकर्ता है और उन्हें 2 करोड़ रुपये की अपराध की आय प्राप्त हुई और वह इस मामले में कई आरोपियों या संदिग्धों, व्यवसायी दिनेश अरोड़ा और अमित अरोड़ा के साथ निकटता से जुड़े हुए थे.

एजेंसी ने साथ यह दावा भी किया कि आप नेता सिंह ने अवैध धन या रिश्वत प्राप्त की है जो शराब नीति (2021-22) घोटाले से उत्पन्न अपराध की आय है और उन्होंने दूसरों के साथ साजिश में भी भूमिका निभायी है.

इससे पहले निचली अदालत ने भी सिंह को जमानत देने से इनकार कर दिया था. यह मामला 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार की आबकारी नीति को तैयार करने और क्रियान्वित करने में कथित भ्रष्टाचार से संबंधित है, जिसे बाद में रद्द कर दिया गया था. उपराज्यपाल वी के सक्सेना की सिफारिश के बाद, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने कथित भ्रष्टाचार को लेकर प्राथमिकी दर्ज की थी.

 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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