मोहन प्रकाश/सुपौल. चाय पीना भला किसे पसंद नहीं है. हर घर में रोजाना लोग चाय पीते हैं. इतना ही, घर के बाहर भी लोग दुकानों पर चाय की चुस्की लगाते हैं. चाहे कोई मेहमान आए या परिवार का ही कोई सदस्य हम सबसे पहले उससे चाय पूछते है. इसमें किसी को असम की पत्ती से बनी चाय तो किसी को दार्जिलिंग की चायपत्ती का स्वाद बेहतर लगता है. लेकिन, जल्द ही लोग सुपौल जिले में उपजाई गई पत्ती की चाय का मजा ले सकेंगे. इसको लेकर कृषि विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है. जल्द ही जिले में चाय की खेती का शुभारंभ होगा. इसके साथ ही लोगों की यह अवधारणा भी खत्म हो जाएगी कि चाय की खेती केवल पहाड़ों पर हो सकती है.
इसको लेकर सुपौल के जिला कृषि पदाधिकारी अजीत कुमार यादव बताते हैं कि बीते दिनों कृषि विभाग के सचिव क्षेत्र भ्रमण पर सुपौल आए थे. जिस दौरान सचिव ने जिले के सरायगढ़-भपटियाही प्रखंड में समीक्षा बैठक की थी. जहां योजनाओं की समीक्षा के अलावा उन्होंने क्षेत्र में नए फसलों के खेती की संभावनाएं तलाशने का निर्देश दिया. वहीं सचिव ने बताया कि बगल के जिलों में कई नई फसलों की खेती हो रही है. जिसमें मधेपुरा में नारियल, अररिया, किशनगंज में ड्रेगन फ्रूट, नींबू, अनानास की खेती होती है. इसी तरह यहां भी नई फसलों के खेती की संभावनाएं तलाशें. सचिव के साथ आए सहायक निदेशक उद्यान मृत्युंजय कुमार ने बसंतपुर का भ्रमण कर बताया कि यहां चाय की खेती हो सकती है.
107 एकड़ जमीन चाय की खेती के लिए उपयुक्त
वे बताते हैं कि इसके बाद संयुक्त निदेशक शस्य सहरसा, सहायक निदेशक उद्यान, वीरपुर एसएओ द्वारा बसंतपुर में उत्सुक किसानों के साथ बैठक की गई. साथ ही क्षेत्र का मुआयना भी किया गया. इसी दौरान इच्छुक किसानों के क्षेत्र का चयन चाय की खेती के लिए किया गया. उन्होंने बताया कि जिले के बसंतपुर प्रखंड इलाके में 107 एकड़ से अधिक भूमि चाय की खेती के लिए उपयुक्त है. लेकिन, शुरूआत कम क्षेत्र से ही की जाएगी. हालांकि, हम लोगों ने सर्वे करके 107.5 एकड़ के लिए किसानों का चयन किया है.
.
Tags: Bihar News, Local18, Supaul News
FIRST PUBLISHED : February 6, 2024, 09:59 IST