बैंगलोरी मस्तान बाबा के अधिकतर भक्त हिंदू, एमपी में यहां होगा उर्स, आएंगे लाखों लोग

दीपक पाण्डेय/खरगोन. कर्नाटक के बेंगलुरु से 50 साल पहले मध्य प्रदेश के खरगोन आए हजरत सय्यद बैंगलोरी मस्तान बाबा के देश भर में अनगिनत भक्त हैं. इसमें हिंदुओं की संख्या बहुतायत है. महेश्वर में बने उनके आस्ताने पर हर साल तीन दीनी उर्स लगता है. यह उर्स हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल है.

बैंगलोरी बाबा को मानने वाले दोनों समुदाय के लाखों लोग उर्स में शामिल होते हैं. बैंगलोरी बाबा के भाई मालिक बाबा ने बताया कि बाबा का असली नाम शेख अब्दुल वसीर है. नौ भाई-बहनों में बाबा सबसे बड़े थे. वह पढ़े-लिखे नहीं थे. उन्होंने करीब 12 साल की उम्र में घर छोड़ दिया था. 1972 में 30 साल की उम्र में महेश्वर आए और यहीं बस गए. वर्ष 2015 में पर्दा कर लिया.

लाखों अनुयायी होंगे शामिल
बैंगलोरी बाबा मस्तान खिदमत समाजसेवा समिति के उपाध्यक्ष आशिक शेख ने बताया कि 2015 में बाबा के जाने के बाद यहां उर्स प्रारंभ हुआ. यह 9वां वर्ष है. 19 से 21 फरवरी तक मनाया जाएगा. उर्स में बाबा के आस्ताने पर संदल, चादर, कव्वाली सहित लंगर का आयोजन होगा. उर्स में मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक समेत अन्य राज्यों से 2 लाख से ज्यादा अनुयायी आते हैं, जिसको ध्यान में रखते हुए समिति तैयारियों में जुटी है.

तीन दिन होंगे ये आयोजन
19 फरवरी को समिति द्वारा संदल चादर पेश की जाएगी, जो मद्रासी बाबा के आस्ताने से निकलकर शहर भ्रमण करते हुए आएगी. इसके एक दिन पहले 18 तारीख को बाबा के परिवार से नूरानी चादर चढ़ेगी. 20 तारीख को कव्वाली का प्रोग्राम होगा. उसमें कव्वाल हाजी मुकरम वारसी भोपाल, कव्वाल नदीम जाफर जयपुरी शामिल होंगे. 21 तारीख को फातिहा के साथ समापन होगा.

ऐसे थे बाबा के चमत्कार
आशिक शेख ने बताया कि वह बचपन से बाबा से जुड़े हुए हैं. कर्नाटक में मुर्कमुल्ला गांव में प्रसिद्ध अम्मा जान-बाबा जान दरगाह है. वहां बाबा ने 12 साल रहकर तप करके सिद्धियां प्राप्त की. उनकी गालियों और मार से लोगों के रोग ठीक हो जाते थे. एक व्यक्ति चल नहीं पता था. बाबा ने पत्थर फेंक कर मारा और वह व्यक्ति चलने लग गया. उनके पास दिव्य दृष्टि थी. यहां बैठे-बैठे वह बता देते थे कि कौन क्या कर रहा है.

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