वाशिंगटन:
एच-1बी वीजा धारकों को बड़ी राहत देते हुए व्हाइट हाउस समर्थित द्विदलीय समझौता पेश किया गया, जिसके तहत लगभग 100,000 एच-4 वीजा धारकों को स्वत: कार्य मंजूरी मिल जाएगी, जो कुछ श्रेणी के एच-1बी वीजा धारकों के जीवन साथी और संतान हैं. अमेरिकी सीनेट में रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक नेतृत्व के बीच लंबी चर्चा के बाद रविवार को घोषित राष्ट्रीय सुरक्षा समझौता एच-1बी वीजा धारकों के लगभग 250,000 संतानों के लिए भी समाधान प्रदान करता है.
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यह कदम उन हजारों भारतीय प्रौद्योगिकी पेशेवरों के लिए अच्छी खबर है, जो ग्रीन कार्ड के लिए लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं, जिसके अभाव में उनके पति या पत्नी काम नहीं कर सकते और उनकी संतानों को वापस उनके देश भेजे जाने का खतरा है.
ग्रीन कार्ड को आधिकारिक तौर पर स्थायी निवास कार्ड के तौर पर जाना जाता है. यह अमेरिका में प्रवासियों को इसके सबूत के तौर पर जारी किया जाने वाला एक दस्तावेज है कि धारक को स्थायी रूप से रहने का अधिकार दे दिया गया है. ग्रीन कार्ड जारी करने की प्रति देश एक संख्यात्मक सीमा होती है.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने एक बयान में कहा, “बहुत लंबे समय से, दशकों से, प्रवासन प्रणाली टूट गई है. इसे ठीक करने का समय आ गया है…यह हमारे देश को सुरक्षित बनाएगा, हमारी सीमा को और अधिक सुरक्षित बनाएगा, कानूनी आव्रजन को संरक्षित करते हुए एक राष्ट्र के रूप में हमारे मूल्यों के अनुरूप लोगों के साथ निष्पक्ष और मानवीय व्यवहार करेगा.”
भारतीय अमेरिकी प्रवासियों के लिए एक और अच्छी खबर यह है कि यह विधेयक लंबी अवधि के एच-1बी वीजा धारकों के युवा संतानों को संरक्षण प्रदान करता है, बशर्ते उन संतानों ने एच4 दर्जा आठ साल तक बनाये रखा हो.
यह देश आधारित सीमा के साथ अगले पांच वर्षों के लिए प्रतिवर्ष 18,000 से अधिक रोजगार-आधारित ग्रीन कार्ड प्रदान करता है. इसका मतलब है कि अगले पांच वर्षों में, अमेरिका प्रतिवर्ष 158,000 रोजगार-आधारित ग्रीन कार्ड जारी करेगा.
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)