नई दिल्ली:
यूपी के आगरा से चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जहां एक जोड़े ने अनोखे अंदाज में शादी की. इस शादी के जरिए नए जोड़े ने अपनी नाराजगी जाहिर की है. दरअसल, दंपत्ति ने दूल्हा और दुल्हन के गेटअप में प्रोस्टेट किया है. इस जोड़े ने नाले के गंदे पानी और कीचड़ के बीच खड़े होकर एक-दूसरे को माला पहनाकर अपनी शादी की सालगिरह मनाई. कॉलोनीवासी इस अनूठे प्रदर्शन में बाराती बनकर शामिल हुए. बारातियों के हाथ में तख्ती भी थी. इन तख्तियों पर बड़े-बड़े अक्षरों में नाली और सड़क नहीं बनने पर वोट नहीं देने का संदेश लिखा हुआ था.
15 सालों से हैं परेशान
आपको बता दें कि यह प्रदर्शन आगरा के नगला कली रजरई रोड पर मारुति प्रवाशम के गेट नंबर तीन के पास हुआ. लोगों ने बताया कि यह समस्या पिछले 15 वर्षों से बनी हुई है और कोई सुनने वाला नहीं है. आठ माह में ही सड़क नाले में तब्दील हो गयी है. सड़क के आसपास रहने वाले लोगों का जीना मुश्किल हो गया है. आपको बता दें कि यह मार्ग सेमरी, नौबरी, पुष्पांजलि होम्स, पुष्पांजलि इको सिटी समेत 30 से अधिक कॉलोनियों के लोग आते-जाते हैं.
परेशान होकर करना पड़ा इस तरह से विरोध
इस सड़क की हालत खराब होने के कारण लोगों को 2 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता है जबकि इस सड़क के बनने के बाद लोगों को 2 किलोमीटर का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा. हालांकि, ऐसा नहीं है कि कॉलोनी के लोगों ने इसका विरोध नहीं किया हो. इससे पहले भी लोगों पोस्टर चिपाकर वोट न करने की अपील कर चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी समस्या का समाधन नहीं हुआ है. पुष्पांजलि होम्स कॉलोनी निवासी श्री भगवान शर्मा ने निराश होकर नाले के पानी में खड़े होकर अपनी 17वीं शादी की सालगिरह मनाई. उनका साथ सारे मोहल्लेवासियों खुलकर दिया.
ये भी पढ़ें- विदेशी नागरिक ने की भारत की सड़कों की तारीफ, देख लोग बोले- ‘गडकरी जी का कमाल हैं’
योगी सरकार अच्छा काम कर रही है लेकिन…
शादी की सालगिरह मनाते हुए भगवान शर्मा ने कहा कि पिछले 15 साल से हम इस समस्या को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन किसी ने नहीं सुनी. सभी जन प्रतिनिधियों और संबंधित अधिकारियों के पास जा चुके हैं. कहीं कोई सुनवाई न होने पर मजबूरन ऐसा करना पड़ा. वहीं, दुल्हन उमा शर्मा ने बताया कि यह विरोध का एक तरीका है ताकि सीनियर अधिकारियों के ध्यान तक बात पहुंचे और समस्या का समाधान हो. उन्होंने कहा कि योगी सरकार अच्छा काम कर रही है लेकिन उनके कार्यकर्ता और जन प्रतिनिधि समस्याएं देखने तक नहीं आते हैं.