कम ही होते हैं हनुमान जी के इस अद्भुत रूप में दर्शन,300 साल पुराना है ये मंदिर

दीपक पाण्डेय/खरगोन. देश में हनुमान जी के अनेकों मंदिर हैं. इन मंदिरों में हनुमान जी अलग-अलग स्वरूप में विराजमान हैं. मध्य प्रदेश के खरगोन से लगभग 58 km दूर महेश्वर में भी हनुमानजी का एक प्राचीन और अलौकिक मंदिर है. नर्मदा के किनारे स्थित ये मंदिर श्री बालाजी सरकार के नाम से क्षेत्र में प्रसिद्ध है. मंदिर में विराजित हनुमानजी के अनोखे स्वरूप के कम ही दर्शन होते हैं.

दरअसल, श्रीराम कुटी के नीचे मंदिर बना है. हालांकि, स्थापना को लेकर किसी को भी सही-सही जानकारी नहीं है. यह मंदिर पूर्व मुखी है. मंदिर में हनुमान बाल स्वरूप में मौजूद हैं. हनुमान का यह स्वरूप तब का है जब सूर्य को फल समझकर उन्होंने अपने मुंह में निगल लिया था.

मंदिर का इतिहास
भक्त बलराम सोलंकी विगत 5 वर्षो से नियमित मंदिर आ रहे है. भगवान का श्रंगार, पूजा, अर्चना वहीं करते है. उन्होंने कहां कन्फर्म तो नहीं है, लेकिन मंदिर होलकर कालीन है. 17वीं शताब्दी में पंढरीनाथ भगवान मंदिर के संरक्षक यहां के जागीरदार परिवार के सानिध्य में ही संभवतः हनुमान जी की स्थापना हुई है.

मंदिर से जुड़ी मान्यताएं
मंदिर आने वाले भक्तों का मानना है कि यहां से कभी कोई खाली हाथ नहीं लौटता. सच्चे मन और भाव से मांगने पर हर मनोकामनाएं पूरी होती है. श्री बालाजी सरकार की कृपा से महिलाओं की सुनी गोद भर जाती है. बाद में महिलाएं अपने नन्हे शिशुओं को आशीर्वाद दिलाने भगवान के चरणों में सुलाती है. सिर्फ एक नारियल से ज्यादा यहां कुछ नहीं चढ़ता.

माना जाता है सिद्ध स्थल
श्री बालाजी सरकार का मंदिर सिद्ध स्थल माना जाता है. कई संत महात्मा यहां तप कर चुके हैं. मंदिर के ऊपर श्रीराम कुटी आश्रम है. 17 साल तक जय जय सियाराम बाबा इसी आश्रम में रहे और श्री बालाजी सरकार के समक्ष तपस्या करके कई सिद्धियां प्राप्त की है.

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