नई दिल्ली:
मोदी सरकार 2.0 का आखिरी बजट आज संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपने कार्यकाल का छठा बजट पेश किया है. ये अंतरिम बजट है. बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि आयात शुल्क सहित प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों की टैक्स दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है. वहीं, 2014 के बाद से कर दाखिल करने वालों की संख्या में 2.4 गुना की बढ़ोतरी हुई है और डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन तीन गुना हो गया है. इस अंतरिम बजट में आम लोगों के लिए कोई बड़ी घोषणा नहीं की गई और ना ही टैक्स स्लैब में कोई बदलाव किया गया. यानी पुराने टैक्स स्लैब को ही बरकरार रखा गया है. 7 लाख रुपये तक की आय में कोई टैक्स नहीं चुकाना पड़ेगा. नई और पुरानी टैक्स रिजीम को उदाहरण के तहत आज हम आपको समझाने की कोशिश कर रहे हैं.
क्या है पुरानी टैक्स रिजीम
पहले आपको पुरानी टैक्स रिजीम के बारे में समझाते हैं. मान लीजिए अगर किसी की सालाना आय 5 लाख रुपये है. पुराने टैक्स रिजीम में 2.5 लाख रुपये तक की इनकम टैक्स फ्री है. ऐसे में बचे हुए 2.5 लाख रुपये पर उसे 5% के हिसाब से टैक्स चुकाना पड़ेगा. यानी, उसे 12,500 रुपये टैक्स की देनदारी होगी, लेकिन सरकार इस टैक्स को इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 87A के तहत माफ कर देती है. लेकिन इसमें भी एक क्लॉज है. यदि आपकी आय 5 लाख रुपये से एक रुपये भी ज्यादा है तो आपको एक रुपये पर नहीं बल्कि 250001 रुपये पर टैक्स चुकाना पड़ेगा. अब 2.5 लाख रुपये पर 5% के हिसाब से 12,500 रुपए की टैक्स देना पड़ेगा. वहीं, बचे हुए 1 रुपए पर 20 फीसदी के हिसाब से टैक्स की देनदारी होगी.
क्या है नई टैक्स रिजीम
अब बात नई टैक्स रिजीम की करते हैं. मान लीजिए, किसी की सालाना आय 5 लाख रुपये है. नई टैक्स रिजीम में 3 लाख रुपये तक की इनकम पर टैक्स की छूट है. ऐसे में बचे हुए 2 लाख रुपये पर व्यक्ति को 5% के हिसाब से टैक्स चुकाना पड़ेगा. यानी, टैक्स के रूप में उसकी देनदारी 10,000 रुपये की होगी. पर इस रिजीम में सरकार 7.5 लाख तक की आय पर टैक्स को सेक्शन 87A के तहत माफ कर देती है. यानी व्यक्ति को टैक्स नहीं देना पड़ता है.
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इसमें भी एक क्लॉज है. अगर आप वेतनभोगी है और आपकी इनकम 7.5 लाख रुपये से एक रुपये भी ज्यादा है तो आपको एक रुपये पर नहीं बल्कि 4,50,001 रुपये पर आयकर चुकाना होगा. अब 3 लाख रुपये का टैक्स माफ होने के बाद बचे हुए 4,50001 रुपये में से 3 लाख रुपये पर 5% की दर से 15,000 रुपये और बाकी 1,50,001 रुपए पर 10% की दर से 15,000 रुपये देने होंगे. यानी टैक्स की कुल देनदारी 30,000 रुपए बनेगी. लेकिन एक और बात क्लियर कर दें कि जो लोग सैलरीड नहीं है उन्हें 7 लाख रुपये तक ही टैक्स में छूट दी जाती है. नए टैक्स रिजीम में सैलरीड लोगों को 50,000 रुपये का फायदा अलग से दिया जाता है, इसलिए उनकी 7.5 लाख रुपए तक की इनकम टैक्स फ्री हो जाती है.
पुरानी और नई टैक्स रिजीम में क्या है अंतर
2020 में पुरानी और नई टैक्स रिजीम के तहत इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने का ऑप्शन दिया गया था. आयकर रिटर्न फाइल करने के 2 विकल्प मिलते हैं. नए टैक्स स्लैब में टैक्स फ्री इनकम का दायरा 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दिया गया, लेकिन इसमें टैक्स डिडक्शन की छूट हटा दी गई. वहीं, अगर आप पुराना टैक्स स्लैब चुनते हैं तो आप कई तरह के टैक्स डिडक्शन का फायदा ले सकते हैं.
पुराने टैक्स रिजीम पर इनकम टैक्स एक्स के सेक्शन 80C के तहत 1,50,000 रुपये तक का डिडक्शन मिलता है. इसके अलावा और भी कई तरह के टैक्स डिडक्शन का लाभ पुरानी रिजीम में उठाया जा सकता है. सबसे बड़ा अंतर यह है कि पुरानी टैक्स रिजीम में सेक्शन 87A के तहत रिबेट के बाद 5 लाख तक की इनकम टैक्स फ्री होती है, जबकि नई रिजीम में 7.5 लाख तक की इनकम टैक्स फ्री हो जाती है.
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10 साल में इनकम टैक्स में ये हुए बदलाव
10 साल में इनकम टैक्स में छूट 1.80 लाख रुपये से बढ़कर 3 लाख रुपये तक हो गई है. बजट 2012-13 में इनकम टैक्स छूट को 1.80 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये किया गया था. 2014-15 में छूट की सीमा 2 लाख से बढ़ाकर 2.50 लाख रुपेय कर दी गई. वहीं, सीनियर सीटिजन के लिए ढाई से बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दी. जबकि बजट 2017-18 में 2.5 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपये की इनकम पर टैक्स रेट 10 फीसदी से घटाकर 5% कर दी गई. वहीं, बजट 2019-2020 में पांच लाख रुपये तक की सालाना आय वाले व्यक्तियों को आयकर (सेक्शन 87A)में पूरी छूट का प्रवाधन किया गया. बजट 2020-21 में नई इनकम टैक्स रिजीम को जोड़ी गई. इसके बाद से करदाता के सामने टैक्स के लिए दो ऑप्शन दिए गए. इसमें 3 लाख तक की इनकम टैक्स फ्री है. जबकि बजट 2023-24 में नई टैक्स रिजीम के तहत टैक्स रिबेट को बढ़ाकर 7.5 लाख रुपये कर दिया गया.