नई दिल्ली :
ज्ञानवापी मामले में वाराणसी जिला अदालत ने हिंदू पक्ष के समर्थन में बड़ा फैसला सुनाया है. हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने गुरुवार को बताया कि, कोर्ट के आदेश के मुताबिक, व्यास तहकाने में हर दिन पांच बार आरती होगी, इसमें मंगला – सुबह 3:30 बजे, भोग – दोपहर 12 बजे, अपरान्ह – शाम 4 बजे, संयकाल – शाम 7 बजे, शयन – रात 10:30 बजे, जिनमें से 2 आरती अबतक हो चुकी हैं. वहीं वाराणसी अदालत के फैसले के बाद, मुस्लिम पक्ष ने रात के अंधेरे में ज्ञानवापी के अंदर पूजा शुरू करने में ‘तेज जल्दबाजी’ पर सवाल उठाए हैं…
गौरतलब है कि, व्यास का तहखाना – नाम से ही पता चलता है कि यह कोशिका व्यास परिवार की थी. व्यास परिवार के सदस्य जीतेंद्र नाथ व्यास ने पेशकश की और कहा कि वह बहुत खुश हैं कि उन्हें वहां प्रार्थनाएं फिर से शुरू करने की अनुमति मिली.
बता दें कि, ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने में चार ‘तहखाने’ हैं, जिनमें से एक अभी भी व्यास परिवार के कब्जे में है, जो वहां रहते थे. व्यास ने याचिका दायर की कि, एक वंशानुगत पुजारी के रूप में उन्हें तहखाना में प्रवेश करने और प्रार्थना करना फिर से शुरू करने की अनुमति दी जाए.
मुस्लिम पक्ष ने पूछा, ‘तेज जल्दबाजी’ क्या थी?
वाराणसी जिला अदालत ने बुधवार को हिंदुओं को प्रार्थना करने की अनुमति देते हुए आदेश पारित किया और कहा कि इसकी व्यवस्था सात दिनों के भीतर की जानी चाहिए, लेकिन कुछ ही घंटों में व्यवस्था कर ली गई और तहखाना के दरवाजे बुधवार देर रात खोल दिए गए. सुबह करीब साढ़े तीन बजे पहली पूजा की गई.
इसपर मुस्लिम पक्ष ने उस ‘तेज़ जल्दबाजी’ पर सवाल उठाया, जिसमें प्रशासन ने अदालत के आदेश का पालन करने के लिए काम किया. मस्जिद समिति ने वाराणसी जिला अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय का रुख करते हुए कहा कि, प्रशासन वादी पक्ष के साथ मिला हुआ था और मस्जिद समिति के किसी भी प्रयास को अवरुद्ध करने के लिए जल्दबाजी में काम किया.
उन्होंने कहा कि, प्रशासन के पास रात के अंधेरे में इस कार्य को जल्दबाजी में करने का कोई कारण नहीं है, क्योंकि ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित आदेश में उन्हें आवश्यक व्यवस्था करने के लिए पहले ही एक सप्ताह का समय दिया गया था. ऐसी अनुचित जल्दबाजी का स्पष्ट कारण यह है कि प्रशासन वादी के साथ मिलकर मस्जिद प्रबंध समिति द्वारा उक्त आदेश के खिलाफ उनके उपचार का लाभ उठाने के किसी भी प्रयास को एक निश्चित उपलब्धि के साथ पेश करने से रोकने की कोशिश कर रहा है.