फौलादी सेहत के साथ चेहरे पर आएगा नूर, बस रोजाना इस तरह सजाए अपनी थाली, हार्ट डिजीज, डायबिटीज, मोटापा पर होगा सीधा वार

हाइलाइट्स

रोजाना की थाली में प्लांट बेस्ड डाइट की सही मात्रा होनी जरूरी है.
क्या नहीं हो डाइट में इसे भी जानना जरूरी.

Healthy Thali for Healthy Life: इंसान को जिंदा रहने के लिए भोजन, पानी और शारीरिक गतिविधियों की जरूरत होती है. लेकिन इन्हीं चीजों में ऊंच-नीच हो जाए तो लोग बीमार भी पड़ जाते हैं. जी हां, यदि आपकी डाइट सही नहीं है और लाइफस्टाइल से संबंधित गंदी आदतें हैं तो निश्चित रूप से आप हमेशा बीमार रहेंगे और आपकी उम्र भी सामान्य से कम हो जाएगी. तो हेल्दी लाइफ जीने का आखिर क्या है सही तरीका? इस विषय पर हमने अपोलो अस्पताल बेंगलुरु में चीफ क्लीनिकल न्यूट्रिशनिस्ट डॉ. प्रियंका रोहतगी से बात की. डॉ. प्रियंका रोहतगी ने बताया है कि निश्चित रूप से हेल्दी लाइफ जीने के लिए हेल्दी डाइट और फिजिकल एक्टिविटी की जरूरत सबसे ज्यादा है. लेकिन इन हेल्दी डाइट को आप किस मात्रा में लेते हैं, यह जानना बहुत जरूरी है. जो लोग निश्चित मात्रा में या संतुलित मात्रा में हेल्दी डाइट को लेंगे, उनके निरोग बनने की संभावना ज्यादा अच्छी होगी.

प्लांट बेस्ड डाइट ही हेल्दी लाइफ का असली राज

डॉ. प्रियंका रोहतगी ने बताया कि हेल्दी डाइट में क्या-क्या होनी चाहिए, इसे लेकर दुनिया भर में रिसर्च हो रही है. हाल ही में हेल्दी लाइफ के लिए लैंसेट ने ‘इट लैंसेट कमीशन’ तैयार किया है जिससे दुनिया भर में हेल्थ को बेहतर बनाया जा सकता है. इस डाइट को फॉलो करने से न केवल लोगों की हेल्थ सही रहेगी बल्कि पर्यावरण को भी दूषित होने से बचाया जा सकता है. इस डाइट में सबसे ज्यादा प्लांट बेस्ड डाइट को शामिल किया गया है. इसमें कहा गया है कि जहां तक संभव हो डाइट में ज्यादा से ज्यादा ताजा फल, सीजनल सब्जियां, साबुत अनाज, फलीदार दालें, सीड्स और नट्स को शामिल करें. इस डाइट में डेयरी प्रोडक्ट, सी फूड और पॉल्ट्री को कम मात्रा में शामिल करें. इसके साथ ही रेड मीट, चीनी और प्रोसेस्ड फूड को जितना कम खाएंगे, उतना फायदा होगा.

यानी इन तीन चीजों को ज्यादा खाने से हेल्थ सही होने की संभावना बहुत कम है. डाइट में ताजे फल, सीजनल सब्जियां, साबुत अनाज, फलीदार दालें, सीड्स और नट्स को शामिल करने से पर्यावरण की सततशीलता बनी रहेगी और इससे कोई नैतिक हानि भी नहीं होगी. सबसे बड़ी बात यह है कि इन चीजों को खाने से पर्यावरण पर अतिरिक्त भार नहीं पड़ेगा और सतत खेती को प्रोत्साहन मिलेगा. इससे ग्रीन हाउस गैसों का उत्पादन और पानी की खपत कम होगी. इससे जैव अपक्षय और मृदा अपरदन भी कम होगा. इस तरह की डाइट से चेहरे पर हमेशा नूर टपकता रहेगा.

थाली में कितनी मात्रा में क्या हो

लैंसेट के मुताबिक जब आप भोजन करते हैं तो भोजन की थाली ऐसी होनी चाहिए. प्लेट का आधा हिस्सा ताजी सब्जियों और फलों से भरा होना चाहिए. इसके बाद करीब 15 प्रतिशत हिस्सा साबुत अनाज से भरा होना चाहिए. यानी इसमें आप चावल, दाल, गेंहू, जौ, बाजरा, मोटे अनाज से बने फूड को शामिल कर सकते हैं. 2-3 प्रतिशत हिस्सा इसमें आप स्टार्ची सब्जियों को शामिल कर सकते हैं. 3 से 4 प्रतिशत हिस्सा आप डेयरी प्रोडक्ट को भी शामिल कर सकते हैं. वहीं 3 से 4 प्रतिशत हिस्सा आप एनिमल प्रोडक्ट से प्रोटीन को प्राप्त कर सकते हैं. इसके बाद करीब 10 से 15 हिस्से में प्लांट बेस्ड प्रोटीन को शामिल करें और बाकी बचे 10-12 प्रतिशत हिस्से को अनसैचुरेटेड प्लांट ऑयल से पूरा करें. यानी सरसों, सूरजमुखी, जैतून आदि के तेल से खाना बनाकर इसकी पूर्ति कर सकते हैं.

इन बीमारियों का खतरा हो जाएगा कम

इस डाइट का मकसद है मोटापा, डायबिटीज, दिल से संबंधित बीमारियां और इंफ्लामेशन डिजीज के जोखिम को कम करना. इन चीजों के सेवन से क्रोनिक बीमारियों का खतरा बहुत कम हो जाएगा. यहां तक कि कैंसर की आशंका भी बहुत कम हो जाएगी.

इसे भी पढ़ें-किडनी खराब होने के ये 5 मामूली संकेत नहीं जानते होंगे आप, साधारण से लक्षण भी हैं गुर्दे के हिलने की दस्तक

इसे भी पढ़ें-कमाल की अनोखी सब्जी है यह, सप्ताह में दो दिन भी खा लिए तो हड्डियां बन जाएगी चट्टान, 5 बीमारियों के लिए काल

Tags: Health, Health tips, Lifestyle, Trending news

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *