चंबल घाटी में 30 साल बाद नजर आया ये लुप्तप्राय जीव, कैमरे में कैद हुई दुर्लभ तस्वीर, लोगों में दहशत

इटावा. चंबल सेंचुरी से जुड़े उत्तर प्रदेश के इटावा और आगरा के सीमा पर तीन दशक बाद भारतीय भेड़िए के नजर आने से वन्य जीव विशेषज्ञों में कौतूहल मचा हुआ है. इटावा सफारी पार्क के एजुकेशन अफसर कार्तिक द्विवेदी ने चंबल सेंचुरी में भारतीय भेड़िए की मौजूदगी की फोटो के माध्यम से पुष्टि करते बताया कि वह नंदगवा स्थित सेंचुरी का भ्रमण करने के लिए गए थे, इसी दौरान उनकी नजर इलाके में भ्रमणशील एक भेड़िए पर पड़ी. उन्होंने भेड़िए की तस्वीर कैमरे में कैद कर ली. उनका कहना है कि भारतीय भेड़िए की मौजूदगी वन्यजीव प्रेमियों और वन्यजीव शोधकर्ताओं दोनों के लिए एक अच्छी खबर मानी जा रही है. इस कम ज्ञात जीव प्रजाति को लंबे समय से इस क्षेत्र में नहीं देखा गया है.

कार्तिक के साथ इस दौरान पशु प्रजनक सह क्षेत्र सहायक रंजीत कुमार भी थे. इस प्रजाति की पहचान सबसे पहले उन्होंने ही की. कार्तिक द्विवेदी बताते हैं कि भेड़िए को दूर से देखने के बाद उनको ऐसा प्रतीत हुआ कि निश्चित तौर पर यह विलुप्त प्रजाति से जुड़ा हुआ कोई जीव है. इसके बाद उन्होंने जब कैमरे में फोटो कैद की और उसको वास्तव में अध्ययन के हिसाब से देखना समझना शुरू किया. कई नई चीजों से पर्दा उठाना शुरू हुआ. कैमरे में कैद की गई भेड़िए की फोटो को वन्य जीव विशेषज्ञों को भेजी गई. अन्य वन्य जीव विशेषज्ञों ने इस भेड़िए की तस्वीर को भारतीय भेड़िए की तस्वीर के रूप में तस्दीक किया है.

भारतीय भेड़िए की तीन दशक बाद मौजूदगी अब चंबल सेंचुरी के अफसर के लिए शोध का विषय बन रही है. राष्ट्रीय चंबल सेंचुरी के अफसर ऐसा बताते हैं कि विलुप्त प्रजाति का माने जाने वाला भारतीय भेड़िया एक अर्से पहले चंबल इलाके में देखा जाता रहा है लेकिन उसके बाद तकनीकी कारणों से गायब होना शुरू हो गया. अब न के बराबर दिखाई देते हैं.

1990 के दशक में शुरू किया था अभियान
अब स्थानीय ग्रामीणों और चंबल सेंचुरी के अफसरों में नए सिरे से चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है. चंबल सेंचुरी के पूर्व डीएफओ दिवाकर श्रीवास्तव बताते है कि सेंचुरी के अधिकारियों ने इलाके में वन्य जीवों की पहचान के लिए 1990 के दशक में एक अभियान शुरू किया था. उस समय बड़ी तादात में चंबल सेंचुरी में भारतीय भेड़िए पाए जा रहे थे. धीरे-धीरे करके समय बीतने के साथ ही भेड़िए चंबल इलाके से गायब होना शुरू हो गए.

बाघ की तरह वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची के तहत भारतीय ग्रे वुल्फ एक लुप्तप्राय प्रजाति है. राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक के कुछ हिस्सों में 1,500-2,000 के बीच होने का अनुमान है. चंबल घाटी में कुख्यात डाकुओं के आतंक के दौरान और उनके सफाये के अभियान में जुड़े रहे कई पुराने पुलिस अफसर ताते हैं कि जब कांबिंग करने के लिए पुलिस दल जंगल में जाया करता था तो खासी तादाद में भारतीय भेड़िए नजर आते थे. भेड़ियों के बारे में ग्रामीणों के बीच आम चर्चा इस बात की है कि छोटे वन्यजीवों और इंसानी बच्चों को उठाकर के ले जाने में भेड़िए पारंगत माने जाते हैं.

Tags: Etawah news, UP news

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