दुर्गेश सिंह राजपूत/ नर्मदापुरम. हर वर्ष माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन सकट चौथ का व्रत किया जाता है. इस व्रत को करने से संतान निरोगी दीर्घायु एवं सुख समृद्धि से परिपूर्ण होती है. ज्योतिषाचार्य पं पंकज पाठक ने बताया कि सकट चौथ पर श्री गणपति जी की उपासना से सारे संकट दूर हो जाते हैं. इस पर्व पर माताएं अपनी संतान की लंबी आयु एवं परिवार की सुख समृद्धि की कामना के लिए उपवास रखती हैं.
सकट चौथ को संकष्टी चतुर्थी, तिलकुट, माघ चतुर्थी आदि नामों से भी जाना जाता है. यह व्रत भगवान गणेश जी को समर्पित होता है. इस व्रत में चंद्रमा को अर्घ्य देने का भी विशेष महत्व माना गया है. इस व्रत को करने से विघ्नहर्ता गणेश जी संतान के सारे संकटों को दूर करते हैं. माना जाता है कि इस व्रत को करने से संतान के ऊपर आने वाले सभी संकट दूर हो जाते हैं. इस साल सकट चौथ का व्रत 29 जनवरी को माना गया है.
व्रत में पान के प्रयोग का महत्व
पं पंकज पाठक ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार, भगवान श्रीगणेश जी की पूजा में पान का प्रयोग सभी प्रकार की मनोकामनाओं को पूरा करने वाला माना गया है. मान्यता यह है कि माता मां लक्ष्मी को भी पान अति प्रिय है. कहते हैं कि सकट चौथ की पूजन में भगवान गणेश जी को पान अर्पित करने से माता मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
व्रत पूजा सामग्री इस प्रकार
इस सकट चौथ पूजा के लिए लकड़ी की चौकी, पीला जनेऊ, सुपारी, पान का पत्ता, गंगाजल, लौंग, इलायची, सिंदूर, अक्षत, मौली, इत्र, रोली, मेहंदी, 21 गांठ दूर्वा, लाल फूल, भगवान श्रीगणेश जी की प्रतिमा या मूर्ति, गुलाल, गाय का शुद्ध घी, दीप, धूप, तिल के लड्डू, फल, कथा की पुस्तक, चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए दूध, गंगाजल, कलश, चीनी आदि जरूरी है.
इस मंत्र का जाप करें
सबसे पहले इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें. स्वच्छ वस्त्र धारण करें. भगवान गणेश जी की फूल, दूर्वा, लड्डू से विधि-विधान पूर्वक पूजा करें. समस्त विघ्नों को हरने वाले भगवान श्रीगणेश जी के मंत्र ‘ॐ गणपतए नमः’ का जाप करें. संतान की लंबी आयु के लिए सकट चौथ व्रत की कथा सुने. इसके बाद रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत संपन्न करें.
शुभ मुहूर्त
चतुर्थी तिथि का प्रारम्भ 29 जनवरी को 06:10 AM से चतुर्थी तिथि समाप्त 30 जनवरी को सुबह 08:54 बजे तक रहेगा. इसके साथ ही चन्द्रोदय समय रात 09:10 है पर देश के अलग- अलग हिस्सों में चंद्रोदय का समय अलग अलग होता है.
पूजा-विधि इस प्रकार
सबसे पहले सुबह स्नान ध्यान करके भगवान गणेश जी की पूजा कीजिए. फिर इसके बाद सूर्यास्त के बाद स्नान करके साफ स्वच्छ वस्त्र को पहनें. अब श्री गणेश जी की मूर्ति के पास एक कलश में जल भर कर रख दें. इसके बाद धूप-दीप, नैवेद्य, तिल, लड्डू, शकरकंद, अमरूद, गुड़ एवं घी अर्पित कीजिए.
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FIRST PUBLISHED : January 26, 2024, 17:01 IST
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.