नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का साक्षी बनना उनके जीवन के ‘सबसे अविस्मरणीय’ क्षणों में था और वह वहां से एक अयोध्या अपने मन में भी लेकर लौटे हैं जो कभी उनसे दूर नहीं हो सकती. प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लिखे दो पन्नों के एक पत्र में यह बात कही. पत्र की प्रति ‘एक्स’ पर साझा करते हुए ih,e मोदी ने कहा, ‘‘दो दिन पूर्व मुझे आदरणीय राष्ट्रपति जी का एक बहुत ही प्रेरणादायी पत्र मिला था. मैंने आज अपनी कृतज्ञता पत्र के माध्यम से प्रकट करने का प्रयास किया है.’’
राष्ट्रपति मुर्मू ने प्राण प्रतिष्ठा से पहले रविवार को प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर कहा था कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर देश भर में जश्न का माहौल भारत की शाश्वत आत्मा की एक निर्बाध अभिव्यक्ति और देश के पुनरुत्थान में एक नए चक्र की शुरुआत है. इसके जवाब में पीएम मोदी ने लिखा, ‘‘अयोध्या धाम में अपने जीवन के सबसे अविस्मरणीय क्षणों का साक्षी बनकर लौटने के बाद मैं आपको यह पत्र लिख रहा हूं. मैं एक अयोध्या अपने मन में भी लेकर लौटा हूं. एक ऐसी अयोध्या, जो कभी मुझसे दूर नहीं हो सकती.’’ प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति को उनकी शुभकामनाओं और स्नेह के लिए आभार जताया तथा कहा कि उन्होंने पत्र के हर शब्द में अपने करुणामयी स्वभाव और प्राण प्रतिष्ठा के आयोजन पर असीम प्रसन्नता को व्यक्त किया. पीएम मोदी ने कहा कि जिस समय उन्हें यह पत्र मिला था, उस वक्त वह एक अलग ही ‘भाव यात्रा’ में थे और इस पत्र ने उन्हें उनके मन की भावनाओं को संभालने और उनमें सामंजस्य बिठाने में अपार सहयोग और संबल दिया.
दो दिन पूर्व मुझे आदरणीया राष्ट्रपति जी का एक बहुत ही प्रेरणादायी पत्र मिला था। मैंने आज अपनी कृतज्ञता पत्र के माध्यम से प्रकट करने का प्रयास किया है। pic.twitter.com/mVJJMgnM8C
— Narendra Modi (@narendramodi) January 23, 2024
ऐतिहासिक अवसर का साक्षी बनना सौभाग्य की बात
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने एक तीर्थयात्री के रूप में अयोध्या धाम की यात्रा की. जिस पवित्र भूमि पर आस्था और इतिहास का ऐसा संगम हुआ हो वहां जाकर मेरा मन अनेक भावनाओं से विह्वल हो गया.’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे ऐतिहासिक अवसर का साक्षी बनना उनके लिए एक सौभाग्य भी है और एक दायित्व भी है. राष्ट्रपति मुर्मू द्वारा लिखे गए पत्र में 11 दिन के व्रत अनुष्ठान और इससे जुड़े यम-नियमों के उल्लेख पर मोदी ने कहा, ‘‘हमारा देश ऐसे अनगिनत लोगों का साक्षी रहा है जिन्होंने शताब्दियों तक अनेक संकल्प व्रत किए जिससे कि रामलला पुनः अपने जन्मस्थान पर विराज सकें.’’ उन्होंने कहा, ‘‘सदियों तक चले इन व्रतों की पूर्णाहुति का संवाहक बनना मेरे लिए बहुत भावुक क्षण था और इसे मैं अपना सौभाग्य मानता हूं.’’ प्रधानमंत्री ने अपने पत्र में कहा कि 140 करोड़ देशवासियों के साथ रामलला के साक्षात दर्शन, उनके रूप से साक्षात्कार और उनके स्वागत का वह क्षण अप्रतिम था. उन्होंने कहा, ‘‘वह क्षण प्रभु श्रीराम और भारत के लोगों के आशीर्वाद से ही संभव हुआ और इसके लिए मैं कृतज्ञ रहूंगा.’’
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‘देशवासियों के जीवन में बदलाव आ रहा’
राष्ट्रपति द्वारा लिखे गए पत्र में पीएम-जनमन और जनजातीय समाज में अति पिछड़ों के सशक्तीकरण का उल्लेख किए जाने पर मोदी ने कहा कि इसके जैसे कई अभियान आज देशवासियों के जीवन में बड़ा बदलाव ला रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘गरीब कल्याण के इन कार्यों के लिए, गरीबों के सशक्तीकरण के इन अभियानों के लिए प्रभु श्रीराम के विचार हमें निरंतर ऊर्जा देते हैं.’’ केंद्र सरकार के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ के आह्वान को भगवान राम की प्रेरणा बताते हुए मोदी ने कहा कि इस मंत्र का आज सर्वत्र परिणाम दिख रहा है.

’25 करोड़ लोगों गरीबी से बाहर आए’
उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक में देश करीब 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकलने में सफल हुआ है. प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रभु श्रीराम के शाश्वत विचार भारत के गौरवशाली भविष्य का आधार हैं और इन विचारों की शक्ति ही सभी देशवासियों के लिए वर्ष 2047 तक विकसित भारत बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगी. उन्होंने कहा, ‘‘श्रीराम का भव्य मंदिर हमें सफलता और विकास के नव प्रतिमान गढ़ने की प्रेरणा देता रहेगा. देश इसी तरह आपके मार्गदर्शन के साथ प्रगति और कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ता रहेगा.’’
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FIRST PUBLISHED : January 23, 2024, 22:37 IST