निगरानी के लिए लगाया गया कॉलर बना पीलीभीत की बाघिन के लिए मुसीबत, गर्दन में हुआ गहरा घाव

सृजित अवस्थी/ पीलीभीत: पीलीभीत के अटकोना गांव से रेस्क्यू की बाघिन को निगरानी के लिहाज़ से सेटेलाइट कॉलर लगाकर रिलीज किया गया था. हाल ही में इस बाघिन ने बार फिर से शहर में दस्तक दे दी थी. जहां वन महकमे की ओर से पिंजड़े की मदद से रेस्क्यू किया गया था. स्वास्थ परीक्षण के दौरान बाघिन के गले में घाव की बात सामने आई है. ऐसे में इस बाघिन को रिलीज करने को लेकर फैसला लेना अधिकारियों के लिए भी किसी चुनौती से कम नहीं है.

दरअसल, हाल ही में पीलीभीत शहर से सटे इस्लामनगर इलाके में पिंजड़े की मदद से जंगल से दोबारा निकली कॉलर वाली बाघिन को रेस्क्यू किया गया था. रेस्क्यू करने के बाद इस बाघिन को पीलीभीत टाइगर रिजर्व मुख्यालय स्थित सेफ हाउस में रखा गया है. जहां बाघिन का स्वास्थ्य सामान्य नहीं पाया गया. जिसके बाद बरेली स्थित आईवीआरआई से डॉ. एएम पावड़े के नेतृत्व में एक टीम पीटीआर मुख्यालय पहुंची जहां विशेषज्ञों ने बाघिन का स्वास्थ्य परीक्षण किया जिसकी रिपोर्ट अधिकारियों को भेजी जाएगी.

कॉलर से गले में हुआ घाव
26 दिसंबर को पीलीभीत के अटकोना गांव से रेस्क्यू किए जाने के बाद बाघिन की सुरक्षा और निगरानी के लिहाज़ से उसकी सेटेलाइट कॉलर लगाया गया था. देहरादून स्थित भारतीय वन्यजीव संस्थान से विशेषज्ञों की टीम ने इस बाघिन की कॉलरिंग की थी. लेकिन ये कॉलर ही इस बाघिन के लिए मुसीबत बन गया है. सूत्रों के मुताबिक कॉलर की रगड़ के चलते बाघिन की गर्दन पर गंभीर घाव हो गया है. बताया जा रहा है कि गर्दन में हुआ घाव दिन ब दिन बढ़ रहा है. ऐसे में बाघिन का स्वास्थ्य पूरे वन महकमे के लिए सिरदर्द बन गया है. वहीं कॉलरिंग करने वाली टीम पर भी प्रश्नचिन्ह लगाए जा रहे है.

सेहत के आधार पर होगा फैसला
पूरे मामले पर अधिक जानकारी देते हुए पीलीभीत टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल ने बताया कि विशेषज्ञों की ओर से लगातार बाघिन की सेहत की देखरेख की का रही है. उच्च अधिकारियों को भी पूरी परिस्थितियों से अवगत करा दिया गया है. निर्देश मिलने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी.

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