Lal Krishna Advani | लालकृष्ण आडवाणी नहीं जाएंगे प्राण प्रतिष्ठा समारोह में, इस कारण रद्द किया दौरा

देश का हर व्यक्ति आज अयोध्या में राम जन्म भूमि पर बने राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का हिस्सा बनने के लिए बेहद उत्सुक है। आज राम भक्तों के लिए वह पावन दिन है जब वह राम मंदिर में अपने प्रभु राम लाल की प्राण प्रतिष्ठा होते हुए देखेंगे। इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए पूरा देश अयोध्या पहुंचाना चाहता था। आज का दिन कई लोगों की कड़ी तपस्या और त्याग की बदौलत देखने को मिल रहा है। 

राम मंदिर आंदोलन का एक बड़ा चेहरा रहे भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी 22 जनवरी को नए राम मंदिर में रामलीला की प्राण प्रतिष्ठा के सामानों में शामिल नहीं होंगे। प्राण प्रतिष्ठा से कुछ घंटे पहले ही 96 वर्षीय लाल कृष्ण आडवाणी ने अपना अयोध्या दौरा रद्द कर दिया है। लालकृष्ण आडवाणी खराब मौसम के कारण अयोध्या नहीं जा रही है। अयोध्या जाने का फैसला रद्द करने के लिए उनकी सेहत को ध्यान में रखा गया है। 

लाल कृष्ण आडवाणी को राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह में हिस्सा लेने के लिए आरएसएस के पदाधिकारी कृष्ण गोपाल, राम लाल और आलोक कुमार ने निमंत्रण दिया था। आडवाणी ने कहा था कि उनका सौभाग्य है कि ऐसे भाव प्रसंग पर वह प्रत्यक्ष उपस्थिति दर्ज करा सकेंगे। राम मंदिर सिर्फ पूजा या आराध्य का मंदिर ही नहीं है बल्कि यह देश की पवित्रता और देश की मर्यादा की स्थापना होने का क्षण है।

पूर्व प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने कहा था कि कितने वर्षों के बाद भारत में स्व के प्रतीक का पुनर्निर्माण हुआ है। सभी के मन में एक विश्वास आया है जिसके कारण संपूर्ण देश में मंगलवार वातावरण बना हुआ है। इसलिए हाथ मौके पर प्रत्यक्ष उपस्थिति दर्ज करा कर उसे प्रसंग को देखना और सहयोगी बनना बहुत खुशी का पल है। यह किसी जन्म में पुण्य हुआ होगा उसी का फल इस जन्म में मिल रहा है। मैं सबका कृतज्ञता पूर्वक धन्यवाद करता हूं। यह कैसा अवसर है जो मांग के भी लोगों को ना मिले, मुझे मिला है मैं उसमें जरूर उपस्थित रहूंगा।

लालकृष्ण आडवाणी ने दी थी प्रतिक्रिया

राम मंदिर को लेकर लालकृष्ण आडवाणी ने अपनी प्रतिक्रिया दी थी। राम मंदिर आंदोलन के महारथी रहे लालकृष्ण आडवाणी ने साफ तौर पर कहा है की बहुतों ने मंदिर बनने का स्वप्न देखा था। उन्होंने कहा कि मंदिर बनना नियति ने तय किया था। अयोध्या में मंदिर अवश्य बनना था। रथ यात्रा में जन सैलाब जुड़ा हुआ था। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कई अनुभव ने जीवन को प्रभावित किया है। उन्होंने कहा कि मंदिर का स्वप्न बहुत लोगों ने देखा था। कई लोग जबरन अपनी आस्था को छिपा रहे थे।  

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