दाल मखनी और बटर चिकन दोनों एसी डिशेज है जिसको खाकर लोग उंगलियां चाटने पर मजबूर हो जाते है। वर्षों से लोगों के जायके का स्वाद बढ़ा रहे दाल मखनी और बटर चिकन असल में किसने बनाया था, इसका जवाब ना के बराबर ही लोग जानते होंगे। अब ये सवाल कोई मामूली सवाल नहीं रह गया है क्योंकि इसका जवाब हासिल करने के उद्देश्य से हाई कोर्ट में भी मामला दायर किया गया है।
देश के दो प्रसिद्ध रेस्तरां ने इन भारतीय व्यंजनों की ओरिजनैलिटी पर अपना दावा ठोक दिया है। बता दें कि ये दावा मोती महल ने दरियागंज रेस्तरां पर ठोका है। मोती महल रेस्तरां का आरोप है कि प्रसिद्ध व्यंजनों पर उसका दावा है, मगर रेस्तरां दरियागंज इस व्यंजन का श्रेय ले रहा है। बता दें कि मोती महल के मालिकों ने अदालत में दावा किया है कि उनके दिवंगत संस्थापक शेफ कुंडल लाल गुजराल थे। उन्होंने ही बटर चिकन और दाल मखनी का आविष्कार किया था। दरियागंज रेस्तरां ने लोगों को गुमराह किया है कि दोनों व्यंजनों का आविष्कार उनके द्वारा किया गया है। मोती महल के मालिकों ने दरियागंज रेस्टोरेंट के मालिकों पर मुकदमा दायर किया है।
कोर्ट से की गई मांग
मोती महल रेस्टोरेंट के मालिकों ने दरियागंज रेस्टोरेंट के मालिकों द्वारा दावा करने से रोक लगाने की मांग की है। इस दौरान ये मांग की गई है कि दरियागंज के आविष्कारकों ने अपने रेस्तरां की वेबसाइट और सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बटर चिकन और दाल मखनी के आविष्कारक के तौर पर खुद को प्रेजेंट किया है। ऐसे में मोती महल रेस्तरां ने मांग की है कि ‘बटर चिकन और दाल मखनी के आविष्कारक’ वाली टैगलाइन का उपयोग करने का अधिकार दरियागंज रेस्तरां को नहीं है।
अब इस दिन होगी सुनवाई
न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने हाल ही में दरियागंज रेस्तरां के मालिकों को समन जारी किया गया है। समन में रेस्तरां मालिकों लिखित बयान दाखिल करने को कहा गया है। इस मामले की अगली सुनवाई के लिए कोर्ट ने 29 मई की तारीख तय की है। बता दें कि दोनों ही रेस्तरां बीते कई वर्षों से ये दावा करते आए हैं कि बटर चिकन और दाल मखनी के असल आविष्कारक वो है।