गौरव सिंह/भोजपुर : किसान अब फसल चक्र पद्धति को अपना रहें हैं. इससे खेत के साथ किसानों को भी फायदा होगा. क्योंकि अभी के दौड़ में किसान एक ही तरह के फसल पर आश्रित हैं. जिले के जगदीशपुर प्रखंड के किसान शशिभूषण सिंह और उनके सहयोगी श्रीनिवास सिंह के द्वारा बड़े पैमाने पर अरहर की खेती की गई है. दो साल से अच्छा मुनाफा होने पर इस बार ज्यादा खेती की गई है.
जगदीशपुर प्रखंड के हरदिया गांव में चार एकड़ में सुरक्षित अरहर की खेती की गई है. इस बार चार एकड़ की खेती में 4 लाख की आमदनी हो जायेगी या इससे ज्यादा भी हो सकती है. बता दें कि एक समय था जब बिहार के भोजपुर जिला में अरहर दाल की खेती बड़े पैमाने पर होती थी. लेकिन जंगली जानवरों के नुकसान और कम मुनाफा में वजह से किसानों ने इस फसल से मुह मोड़ लिया था. अब एक बार
होगी 4 लाख की बचत
हरदिया गांव के किसान शशिभूषण सिंह और उनके सहयोगी है श्रीनिवास सिंह के द्वारा बताया गया कि दो साल से घर में इस्तेमाल होने के लिए अनाज के रूप में उपज किया जाता था. अच्छी फसल में उपज होने के कारण घर मे उपयोग के बावजूद थोड़ा बहुत बाजार में बिक्री भी होती थी. जिससे दो लाख तक आमदनी भी हो जाती थी. इस बार फैसला किया गया कि इसके क्षेत्र को बढ़ा दिया जाय. अब दो एकड़ की जगह चार एकड़ में खेती हुई है.
फसल 80 प्रतिशत तैयार और एक माह में ये पूरा तैयार हो जायगा. फसल देख कर अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार भी पैदावार अच्छी होगी और बाजार में मूल्य अच्छा रहा तो अनुमान है कि चार लाख से ज्यादा की बचत होगी.
इस किसान की मान लें यह सलाह
बता दें कि अरहर का हमारे देश में शाकाहारी भोजन में महत्वपूर्ण स्थान है. इसका दाल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. जिसमें 20.9 प्रतिशत प्रोटीन है. इसके अलावा खनिज, लोहा, आयोडीन और कुछ अन्य विटामिन का भी अच्छा स्रोत है. अरहर की खेती किसानों के लिए फायदे का सौदा है. क्योंकि इसे हम आयात कर रहे हैं. इसके लिए उत्तम जल निकासी वाली हल्की या मध्यम भारी मिट्टी अधिक उपयुक्त है.
अरहर की खेती से जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ती है. क्योंकि यह वातावरण से नाइट्रोजन लेकर उसे जमीन में फिक्स करती है. अरहर की अधिक उपज लेने के लिए 100 किलोग्राम डीएपी तथा 35 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से बुवाई के समय खेत में मिला देना चाहिए.
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FIRST PUBLISHED : January 19, 2024, 16:00 IST