ट्रेंड में चल रही आदिवासियों की ये ज्वैलरी, भील जनजाति में है इसका विशेष महत्व

रितिका तिवारी/ भोपाल: मध्य प्रदेश की भील जनजातियों में एक नेकलेस की बहुत ही ज्यादा महत्वता है. इस नेकलेस के बिना शादियां अधूरी रह जाती है ऐसा माना जाता है. सुनने में ये काफी अटपटा लग रहा होगा.  लेकिन झाबुआ की भील जनजाति में जबतक गलखन ना पहनाई जाए तब तक शादी पूरी नहीं मानी जाती. बता दें ये गलखन एक प्रकार की माला होती है, जो की रंगबिरंगे मोतियों से बनाई जाती है. इस माला को दुल्हन के साथ दूल्हे का पहनना भी उतना ही महत्वपूर्ण माना जाता है. भील जनजाति की दो बहनों द्वारा अनंत मंडी में लगाई स्टॉल पर आपको ये अनोखी माला मिल जाएगी.

इसे आजकल महिलाओं द्वारा बहुत ही पसंद किया जाता है. इसके अलावा ये बहने ईयर रिंग्स, बैंगल्स और ओढ़न भी बेचती हैं. ओढ़न पुराने समय में पानी के घड़े उठाने के काम आता था. आज कल इसे रंग बिरंगे उन से बनाया जाता है. जो की माता पूजन में काम आता है और साथ ही घर के सजावट के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है.

क्यों पहनते हैं गलखन
गलखन एक प्रकार का नेकलेस होता है, जो की रंग बिरंगी मोतियों से तैयार किया जाता है. ये माला मुख्य रूप से भील जनजातियों की शादी में इस्तेमाल किया जाता है. जिसे पहने बिना शादी अधूरी मानी जाती है. इस माला को दूल्हा और दुल्हन दोनों को ही पहनना महत्वपूर्ण है. देखने में तो ये सारे गलखन आपको एक समान ही लगेंगे. मगर इनकी डिजाइन में और इनके रंग में आपको हल्का अंतर दिख जाएगा. भोपाल के गांधी भवन में हर रविवार लगने वाले अनंत मंडी में आपको दो बहनों द्वारा लगाए गए स्टॉल पर गलखन  मात्र 500 रूपय में मिल जाएगा.

ये भी है खास
ये स्टॉल दो बहनों द्वारा अनंत मंडी में लगाई जाती है. जहां पर आपको गलखन के साथ हाथ से बनाई गई इयर रिंग्स, बैंगल्स और ओढ़न भी मिल जायेगा. ये सारी चीज़ें अपनी मां के साथ मिल कर ये बहने बनाया करती हैं. जिनकी शुरुआत 50 रुपए से होती है. ये सारी चीज़ें आपको भील जनजाति की खुबसूरती और संस्कृति से जोड़ती है.

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