दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव और वित्त सचिव को डिजिटल माध्यम से उसके समक्ष उपस्थित होने और यह बताने को कहा कि वे राष्ट्रीय राजधानी में जलजमाव की समस्या से कैसे निपटेंगे और क्या जल निकासी के लिए ‘मास्टर प्लान’ तैयार कर लिया गया है।
अदालत ने कहा कि मानसून के दौरान भारी बारिश के कारण कई आवासीय इलाकों में सीवेज में उफान देखा जाता है और दिल्ली में बरसाती पानी के नाले और सीवेज के नाले अलग नहीं हैं।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत पी एस अरोड़ा की पीठ ने कहा, ‘‘यह सामान्य बात है कि नालियां आम तौर पर गाद से भरी होती हैं और गहराई के उचित स्तर और ऊंचाई को ध्यान में रखकर नालियां नहीं बनाई जाती हैं।
अधिकांश नालियां एकीकृत नहीं हैं और जगह-जगह से टूटी हुई हैं।’’
पीठ ने दिल्ली के मुख्य सचिव और वित्त सचिव को मामले में सुनवाई की अगली तारीख 30 जनवरी को डिजिटल माध्यम से उसके समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया।
इसमें कहा गया है, ‘‘हम उन्हें इस संबंध में प्रस्तुति देकर यह बताने को कहा है वे जलजमाव की समस्या से कैसे निपटना चाहते हैं और क्या जल निकासी का ‘मास्टर प्लान’ तैयार किया गया है और क्या इसे लागू किया जा रहा है।’’
अदालत दिल्ली की जलजमाव की समस्या और वर्षा जल संचयन तथा मानसून और अन्य अवधियों के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में यातायात की स्थिति को आसान बनाने के मुद्दे पर स्वत: संज्ञान से शुरू की गई दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
दिल्ली सरकार के स्थायी वकील (सिविल) संतोष कुमार त्रिपाठी और वकील अरुण पंवार ने अदालत को बताया कि जलजमाव की समस्या से निपटने के लिए दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी), दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए), दिल्ली नगर निगम (एमसीडी), दिल्ली मेट्रो, दिल्ली पुलिस और शहर स्वास्थ्य विभाग सहित कई प्राधिकरण शामिल हैं।
इसमें शामिल अन्य प्राधिकरण खाद्य और आपूर्ति विभाग, नयी दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी), बीएसईएस, सिंचाई विभाग, लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) और दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डीयूएसआईबी) हैं।
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