पिछले दो महीने से एक दिन भी ऐसा नहीं गुजरा जब लाल सागर से लेकर अरब सागर तक इजरायल के हमलों की प्रतिक्रिया न मिली हो। लाल सागर में ही हूती बैलेस्टिक मिसाइल छोड़ रहे हैं। एंटी पाइरेसी में लगे नौसेना के बलो का पूरा ध्यान अदन की खाड़ी से लाल सागर की ओर शिफ्ट होता देख इसका फायदा उठाते हुए समुद्री लुटेरों ने अरब सागर में भी अपनी गतिविधियां बढ़ा दी हैं। स्वेज नहर यूएस-यूके की नेवी के पहरे में है। अरब सागर में इंडियन नेवी ने अपनी क्षमता दिखाई।
रेड सी में संग्राम
इजरायल पर दबाव बनाने के लिए लाल सागर में ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों की गतिविधियां बढ़ गई है। ये इस क्षेत्र से मुजर रहे जहाजों पर ड्रोन और मिसाइलों से हमले कर रहे है। लाल सागर मिस्र, सऊदी अरब, यमन, सूडान, इरीट्रिया और जिबूती से लगता है। कुछ अरब देशों के कुल निर्यात का 90 से 100 प्रतिशत तक इसी रूट से होत है। यह भारत के लिए भी अहम है। इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब और इसाइल के साथ इस मुद्दे को उठाया है। हूति विद्रोहियों ने कहा कि लाल सागर में सिर्फ इजरायल से जुड़े जहाज उनके निशाने पर है। दूसरे देशों के जहाजों को कोई खतरा नहीं है। लेकिन जो देश अमेरिका के नेतृत्व में बनी फोर्स का हिस्सा बनेंगे, उनको हूती निशाना बनाएंगे।
असर
लाल सागर का मार्ग कितना जरूरी है इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 17 हजार जहाज स्वेज नहर से हर वर्ष गुजरते हैं। हूती हमलों से चिंतित होकर, प्रमुख ऊर्जा कंपनियों और शिपिंग फर्मों बीपी, इक्विनोर, मार्सक, एवरग्रीन लाइन और एचएमएम ने अपने जहाजों का मार्ग बदल दिया है या लाल सागर में परिचालन निलंबित कर दिया है।
अमेरिका की जवाबी कार्रवाई
हूती विद्रोहियों को कड़ा जवाब देने और लाल सागर में वाणिज्य की सुरक्षा के लिए अमेरिका ने बहुराष्ट्रीय अभियान शुरू किया है। 31 दिसंबर 2023 को यूएस नेवी ने 10 हूतियों को मार गिराया और 3 जहाज भी डूबे दिेए। यमन के हूती विद्रोहियों ने दक्षिणी लाल सागर के ऊपर 18 ड्रोन लॉन्च किए, जो पिछले सात सप्ताह में अंतरराष्ट्रीय व्यापार चैनलों पर सशस्त्र समूह का 26वां हमला था। अमेरिका, ब्रिटेन की सेना ने लाल सागर में हूतियों के 21 ड्रोन और मिसाइलों को मार गिराया।
अरब सागर
अरब सागर यानी वो इलाका जो रणनीतिक और आर्थिक यानी दोनों लिहाज से भारत के लिए बेहद अहम है। समुद्र के रास्ते कारोबार का ये रूट हिन्दुस्तान के लिए सबसे अहम है। लेकिन गाजा जंग के दौरान यमन के हूती विद्रोहियों और समुद्री डाकुओं के लगातार निशाने पर है। इसकी आंच अब सीधे हिंदुस्तान तक आने लगी है। पिछले साल दिसंबर की शुरुआत में समुद्री डकैती रोधी कर्तव्यों के लिए अरब सागर में केवल दो युद्धपोतों की तैनाती से उसी महीने के मध्य तक तैनाती बढ़ाकर पांच कर दी गई थी, और हाल के हमलों के बाद अब 10 हो गई है। 23 दिसंबर को लाइबेरिया के झंडे वाले एक व्यापारिक एमवी केम प्लूटो को ड्रोन हमले से निशाना बनाया गया। ये जहाज मैंगलोर आ रहा था और इसके चालक दल के 22 सदस्यों में 21 भारतीय थे। इसके बाद गैबन के झंडे वाले एक ऑयल टैंकर साईबाबा पर भी लाल सागर में ड्रोन हमला हुआ था, जिसके चालक दल में 25 भारतीय थे। 5 जनवरी को सोमालिया में एमवी लीला 15 भारतीयों को किडनैप किया गया। फिर आपने देखा कि कैसे भारतीय नौसेना ने लुटेरों की तरफ से जहाज में फंसे भारतीयों को छुड़ा लिया। नेवी के मार्कोस कमांडोज ने इसके लिए अरब सागर में स्पेशल ऑपरेशन चलाया। समुंद्र में हिंदुस्तान की बढ़ती ताकत को देख दुनिया हैरान रह गई। चीन और पाकिस्तान के पसीने छूटने लगे।
‘ऑपरेशन प्रॉस्पेरिटी गार्जियन’ का हिस्सा नहीं
अरब सागर में हिंदुस्तान की नौसेना ने अब तक की सबसे बड़ी तैनाती कर दी है। मोदी सरकार ने इस घातक जोन में युद्धपोतों का लंबा चौड़ा बेड़ा उतार दिया है। दिलचस्प बात यह है कि भारत की निगरानी में वृद्धि ऐसे समय में हुई है जब संयुक्त राज्य अमेरिका ने ऑपरेशन प्रॉस्पेरिटी गार्जियन नामक एक बहु-राष्ट्रीय नौसैनिक गठबंधन शुरू किया है। वाशिंगटन का प्रमुख सहयोगी होने के बावजूद भारत ने इस ऑपरेशन के लिए प्रतिबद्धता नहीं जताई है। बल्कि अपने दम पर वो इस इलाके में अपनी शक्ति दिखा रहा है। इस बारे में पूछे जाने पर, नौसेना के एक शीर्ष अधिकारी ने द वीक को बताया फिलहाल, ऑपरेशन में खुद को शामिल करने का कोई कारण नहीं है क्योंकि हमारे हितों की रक्षा की जा रही है। लेकिन निश्चित रूप से, अगर हमें पता चलता है कि किसी भी समय उन्हें धमकी दी जा रही है, तो हम आवश्यक कार्रवाई करने के लिए हमेशा तैयार हैं। सरकार ने अरब सागर में एक दो नहीं बल्कि 10 जंगी जहाजों को भेजा है।
आइएनएस कोलकाता बराक और ब्रह्मोस मिसाइल से लैस हैं।
आईएनएस कोच्चि- ब्रह्मोस मिसाइल और रडार से लैस।
आईएनएस चेन्नई- मिसाइलों के साथ सबमरीन लॉन्चर से लैस है।
आईएनएस मोर्मुगाओ- पनडुब्बियों को टारगेट करने में सक्षम है।
आईएनएस तलवार को भी मोर्चे पर भेजा गया है।
आईएनएस तरकश जैसे घातक युद्धपोत को भी उतारा गया है।