बिहार की मशरूम लेडी के नाम से मशहूर हैं अभिलाषा, 71 महिलाओं की बदली जिंदगी

नीरज कुमार/बेगूसराय : समाज में एक कहावत प्रचलित है ‘मन में अगर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कोई भी बाधा आपके रास्ते की रुकावट नहीं बन सकती’ इसे चरितार्थ कर दिखाया है बिहार की अभिलाषा देवी ने. अभिलाषा ने मशरूम की खेती में नई पहचान बनाई है और वे अच्छी कमाई भी कर रही हैं. अपनी मेहनत और संघर्षों के दम पर गांव की अन्य महिलाओं की भी मदद कर ना सिर्फ मशरूम उत्पादन करवा रही है बल्कि उनके भी परिवार की भी आर्थिक तंगी को दूर कर रही हैं.

इन महिलाओं ने अभिलाषा देवी से सीख लेकर मशरूम उत्पादन को ही भरण-पोषण करने का जरिया बना लिया. मशरूम लेडी के रूप में चर्चित अभिलाषा देवी को देखकर कोई भी उनके संघर्ष का अंदाजा लगाया सकता है. अभिलाषा के पास अल्बेस्टेस के दो घरों में अपने पांच परिवार के सदस्य के रहने के लिए भी पर्याप्त जगह नहीं हैं, इसके बाद भी अपने घर को मशरूम उत्पादन का केंद्र बना दिया और अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने की कोशिश में लग गई.

तीन दिनों की ट्रेनिंग से शुरू हुआ था मशरूम उत्पादन
बात जून 2023 की है, जब गर्मी के समय में कृषि विज्ञान केंद्र खोदावंदपुर में तीन दिनों के लिए मशरूम उत्पादन सह प्रशिक्षण का दौर चल रहा था. इसमें अभिलाषा भी स्थानीय किसानों के साथ शामिल हुई और ट्रेनिंग लेकर अपने घर लौट आई.

इसके बाद जीविका के बीआरपी जूही कुमारी के माध्यम से एसएलजी योजना से दोबारा 10 दिनों की ट्रेनिंग और बीज पाकर शुरुआत में 1200 खर्च कर 40 पैकेट से मशरूम उत्पादन अपने घर के बेडरूम सहित खाली पड़े हर स्थानों पर करने लगी और आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में जुट गई. उन्होंने बताया कि आस-पास के लोग 700 से 800 रुपए किलो मशरूम खरीदते थे. तो हमें लगा था कि हमारी गरीबी इसके उत्पादन से दूर हो जाएगी.

71 महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर
खोदावंदपुर प्रखंड के बीपीएम मनोज कुमार ने बताया कि मशरूम के उत्पादन को लेकर छोटे शहरों में पिछले कुछ सालों से जागरूकता आई है. अब लोगों की थाली में एक पौष्टिक सब्जी के तौर पर मशरूम ने अपना जगह बना लिया है.

अभिलाषा बताती हैं कि महीने में तीन बार मशरुम तैयार हो जाता है. 40 पैकेट से तैयार मशरूम 8 हजार तक में बिक जाता है. इसके अलावा 20 सेक्टर में हर माह 30 पैकेट मशरूम का बीज बेच लेते हैं. एक पैकेट की कीमत 200 रुपए तक मिल जाता है. वहीं इलाके के लोग इन्हें मशरूम लेडी इसलिए कहते हैं क्योंकि आस-पास के 71 महिलाओं को मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बना दिया है.

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