रिपोर्ट – आदित्य आनंद
गोड्डा. पुराने जमाने में अक्सर लोग अपने घर के बर्तन साइकिल व कीमती वस्तुओं के चोरी होने से बचने के लिए उसे पर लोहे की कील से नाम लिखवाया करते थे. अगर बर्तन या साइकिल चोरी हो जाए या फिर अदला-बदली हो जाए तो आसानी से उसकी पहचान कर ली जाए. गोड्डा के ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी यह चलन बरकरार है. लोग अपनी साइकिल या घर के बर्तनों में नाम लिखवाते हैं. ग्रामीण इलाकों में कई ऐसे कामगार हैं, जो घूम-घूम कर, आवाज लगाकर बर्तन व लोहे के वस्तुओं में नाम लिखते हैं.
बर्तनों में नाम लिखने वाले मनोज शाह ने बताया कि वह बिहार के भागलपुर जिले के सनहौला के रहने वाले हैं. कई वर्षों से यूं ही घूम-घूम कर यह काम करते आ रहे हैं. हालांकि गांवों में आजकल कई लोग बर्तनों या साइकिल पर नाम लिखवाने से गुरेज करते हैं. लेकिन आज भी ऐसे लोगों की संख्या बहुत है, जो अपना सामान सुरक्षित रखने के लिए यह तरीका अपनाते हैं. वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो शौकिया तौर पर बर्तनों या अन्य चीजों के ऊपर नाम लिखवाते हैं.
एक अक्षर के 10 रुपए
मनोज ने बताया कि वह धातु की किसी भी वस्तु पर नाम लिख देते हैं. प्रति अक्षर 10 रुपए लेते हैं. वहीं एक व्यक्ति अगर साइकिल में अपना नाम लिखवाता है, तो उससे 80 रुपए तक लिए जाते हैं. हिंदी और अंग्रेजी के शब्दों में छेनी और हथौड़ी की मदद से धातु पर ये अक्षर उकेरे जाते हैं. मनोज ने बताया कि दिनभर ग्रामीण क्षेत्रों में घूमने के बाद वह रोजाना 500 से 600 रुपए तक की कमाई कर लेते हैं.
साइकिल पर नाम लिखवाने वाले सौरव मंडल ने बताया कि उन्होंने अपनी साइकिल पर नाम लिखावाया है, ताकि स्कूल में उनकी साइकिल की अदला-बदली ना हो. या अगर कभी चोरी हो तो उन्हें पता चल जाए. सौरव ने बताया कि उन्हें यह अच्छा लगता है कि उनकी साइकिल पर नाम लिखा है.
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FIRST PUBLISHED : January 4, 2024, 19:57 IST